क) निम्नलिखित पद्य-खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
1) बहुत दिनों के बाद,
अब कि मैंने जी-भर तालमखाना खाया,
गन्ने चूसे जी-भर । – बहुत दिनों के बाद।
प्रश्न – 1) यह पद्य-खंड किस कविता से लिया गया है ?
उ: यह पद्य-खंड ‘बहुत दिनों के बाद’ कविता से लिया गया है ।
2) इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
उ: इस कविता के कवि का नाम नागार्जुन है ।
3) कवि ने बहुत दिनों के बाद जी-भर क्या खाया ?
उ: कवि ने बहुत दिनों के बाद तालमखाना खाया है ।
4) कवि ने कितने गन्ने चूसे ?
उ: कवि ने जी भर गन्ने चूसे।
2) बहुत दिनों के बाद,
अब की मैं जी-भर सुन पाया,
धान कूटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान । – बहुत दिनों के बाद ।
प्रश्न – 1) यह पद्य-खंड किस कविता से लिया गया है ?
उ: यह पद्य-खंड ‘बहुत दिनों के बाद’ कविता से लिया गया है ।
2) इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
उ: इस कविता के कवि का नाम नागार्जुन है ।
3) कौन धान कूट रहा है ?
उ: किशोरियाँ धान कूट रही हैं ।
4) किशोरियाँ धान कूटने के साथ क्या कर रही है ?
उ: किशोरियाँ धन कूटने के साथ अपने कोकिल-कंठी तान में गा रही हैं ।
ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 15-20 शब्दों में लिखिए ।
1) कवि ने बहुत दिनों के बाद कौन से फूल सूँघे?
उ: कवि ने बहुत दिनों के बाद मधुर गंधवाले मौलसिरी के ताजे-टटके के फूल सूँघे ।
2) कवि के गाँव की पगडंडी की धूल कैसी थी ?
उ: कवि के गाँव की पगडंडी की धूल चंदनवर्णी थी ।
3) कवि ने बहुत दिनों के बाद किसकी तान सुनी ?
उ: कवि ने बहुत दिनों बाद धान कूटती किशोरियों की कोकिला-कंठी तान सुनी ।
4) कवि ने गाँव में किसकी मुस्कान देखी ?
उ: कवि ने गाँव में पकी सुनहली फसलों की मुस्कान देखी ।
ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए ।
1) कवि को प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन किस प्रकार हुए ?
उ: आज के इस परिवर्तनशील युग में हर क्षेत्र में प्रगति की होड़ लगी है । सब कुछ बनावटी होता जा रहा है । जब कवी अपने गाँव वापस पहुंचे हैं तो, प्रकृति के अप्रतीम दृश्य देखकर भावविभोर हो जाते हैं । कवि ने जी-भर के पकी हुई सुनहली फसल देखी । धान कूटती किशोरियों की कोकिल- कंठी तान सुनी । मौलसिरी के ढेर सारे मधुर ताजे-टटके फूल तुम्हें गाँव की पगडंडियों पर चंदन-वर्णी धूल छूई । इस प्रकार कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य सौंदर्य के दर्शन किए ।
2) कवि ने पकी फसल का वर्णन कैसे किया है ?
उ: कवि बहुत दिनों बाद जब शहर की भागदौड़ से दूर अपने गाँव आते हैं तो वहाँ की प्राकृतिक छटा देखकर आनंदित होते हैं। खेतों में फसल पक चुकी है । उसकी सुनहली छटा चारों ओर फैल गई है । जब धान काटकर किसान खलिहानों में ले जाता है तो गाँव की किशोरियाँ धान कूटती है । धान उठते हुए वे कोकिल-कंठी तान में लोकगीत गाती हैं । अपने मधुर स्वर से पूरा वातावरण गुंजायमान करती हैं । वहाँ का दृश्य और मधुर गीत सुनकर कवी हर्षित होते हैं ।
3) कवि का मन कब तृप्त हुआ ?
उ: कवी जब बहुत दिनों बाद शहर की भागदौड़ और तड़क-भड़क से अपने गाँव जाते हैं, तो ग्रामीण प्रकृति का रमणीय एवं मोहक रूप देखकर आनंद का अनुभव करते हैं । उन्होंने वहाँ की सुनहली फसलों को मुस्कुराते पाया । मौलसिरी के फूलों की सुगंधित दिव्य सुगंध का अनुभव किया । पगडंडी पर बिखरी चंदन वर्णी धूल को छूकर अनुभव किया । जी-भर के तालमखाने खाए, गन्ने चूसे। उन्होंने वहां सारे दृश्य और वातावरण को अनुभव किया जो शहर में दुर्लभ हैं । इस कारण उनका मन तृप्त हुआ ।
4) कवि ने इस कविता में देहात के प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति कैसे की है ?
उ: कवि शहर से दूर ग्रामीण जीवन का सुख भोगना चाहता है । इस कविता में उन्होंने पांच इंद्रियों द्वारा प्राप्त किए गए सुख का वर्णन किया है । कवी कहते हैं कि गाँव लौटकर बहुत दिनों बाद उन्होंने जी भर के जीवन को जिया है, उसे भोगा है । अपने परस, रूप, गंध, शब्द, स्पर्श, आदि इन सभी को भरपूर से महसूस किया है जो अन्यत्र, कहीं भी दुर्लभ है । उन्होंने गाँव के वास्तविक जीवन को जिया है जो शहरों से विलुप्त हो चुका है ।