(क) निम्नलिखित गद्य-खंडों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तरलिखिए ।
अ- ” रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद ईद आई है । घरों में ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। तीन कोस का पैदल रास्ता है। फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना है। इस अवसर पर लड़के सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं। इनके लिए तो ईद ख़ुशियों से भरा दिन है। रोज ईद का नाम रटते थे, आज वह आ ही गई।”
प्रश्न (i) यह गद्य -खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह गद्य -खंड ‘ईदगाह’ पाठ से लिया गया है।
(ii) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘मुंशी प्रेमचंद है।
(iii) कितने रोज़ों के बाद ईद आई है ?
उ: रमजान महीने के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है।
(iv) लड़के रोज किसका नाम रटते रहते थे ?
उ: लड़के रोज ईद का नाम रटते रहते थे।
(v) घर से ईदगाह कितनी दूरी पर है ?
उ: घर से ईदगाह तीन कोस की दूरी पर है।
आ- ” उसे खयाल आया, दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती है तो
हाथ जल जाता है। अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे तो वह कितनी प्रसन्न होंगी। फिर उनकी उॅगलियाँ कभी न जलेंगी। घर में एक काम की चीज़ भी हो जाएगी। खिलौनों से क्या फ़ायदा ? व्यर्थ में पैसे ख़राब होते हैं।”
प्रश्न: (i) यह गद्य -खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह गद्य -खंड ‘ईदगाह’ पाठ से लिया गया है।
(ii) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘मुंशी प्रेमचंद ‘ है।
(iii) तवे से रोटियाँ उतारते समय दादी का हाथ क्यों जल जाता था ?
उ: तवे से रोटियाँ उतारते समय दादी का हाथ इसलिए जल जाता था क्योंकि उनके पास चिमटा नहीं था।
(iv) दादी कब प्रसन्न होगी ?
उ: हामीद को लगा कि जब वह अपनी दादी को चिमटा खरीदकर देगा तो वह प्रसन्न होगी।
(v) व्यर्थ में पैसे ख़राब क्यों होते हैं ?
उ: खिलौने ख़रीदने से व्यर्थ में पैसे ख़राब होते हैं क्योंकि कुछ समय बाद वह टूट जाते हैं।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दस- शब्दों में लिखिए ।
(i) लोग ईदगाह क्यों जा रहे थे ?
उ: रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई थी, तो लोग नमाज़ पढ़ने ईदगाह जा रहे थे।
(ii) हामिद क्यों ख़ुश था ?
उ: हामिद इसलिए खुश था क्योंकि उसे बताया गया था कि उसके अब्बाजान रूपये कमाने गए हैं और अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीज़ें लाने गई हैं।
(iii) हामिद के पिता की मृत्यु कैसे हुई ?
उ: हामिद के पिता की मृत्यु हैजे के कारण गत-वर्ष हो गई थी।
(iv) हामिद की माँ की मृत्यु के बारे में क्या कहा गया है ?
उ: हामिद की माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई।
(v) अमीना हामिद को ईदगाह भेजने से क्यों हिचकिचा रही थी ?
उ: अमीना हामिद को ईदगाह भेजने से इसलिए हिचकिचा रही थी क्योंकि उसे डर था कि कहीं भीड़-भाड़ में हामिद खो ना जाये और इतनी दूर चलने से कहीं हामिद के पैरों में छालें ना पड़ जाए क्योंकि उसके पास जूते नहीं थे।
(vi) अमीना ने आठ पैसे किस प्रकार कमाए थे ?
उ: अमीना ने फहीमन के कपड़े सिलकर आठ पैसे कमाए थे।
(vii) हामीद ने चिमटा क्यों खरीदा ?
उ: हामीद ने चिमटा यह सोचकर खरीदा कि चिमटा होने पर उसकी दादी के हाथ नहीं जलेंगे और घर में एक काम की चीज़ भी हो जाएगी।
(viii) हामिद की किस बात से अमीना गद्-गद हो उठी ?
उ: जब हामिद ने कहा कि तुम्हारी ऊँगलियाँ तवे पर रोटियाँ सेकते समय जल जाती हैं इसलिए चिमटा लाया हूँ , तब अमीना गद्-गद हो उठी।
(ग) निम्नलिखि प्रत्येक प्रश्न का उत्तर चालीस पचास शब्दों में लिखिए ।
i) हामिद अपने दिल के अरमान कब निकाल लेगा ?
उ: हामिद गरीब है। उसके माता-पिता मर चुके हैं। हामिद को बताया गया है कि उसकी अम्मी अल्लाह के यहाँ से उसके लिए अच्छी-अचछी चीज़ें लेने गई हैं तथा उसके अब्बाजान रूपये कमाने गये हैं। हामिद को आशा है कि उसके अब्बाजान थैलियाँ भरकर खिलौने और अम्मी नियामतें लेकर आयेगी तब वह अपने दिल के सारे अरमान निकाल लेगा।
ii) मिठाई खाते समय हामिद के मित्रों ने उसकी खिल्ली कैसे उड़ाई ?
उ: जब सब बच्चे मिठाई खा रहे थे, हामिद ललचाई आँखो से सबकी ओर देख रहा था। मोहसिन ने कहा “हामिद रेवड़ी लेगा ? कितनी ख़ुशबूदार है”। मोहसिन ने एक रेवड़ी निकालकर हामिद के ओर हाथ बढ़ाया और जैसे ही हामिद ने हाथ फैलाया, उसने झट से रेवड़ी अपने मुँह में रख ली। यह सब देखकर उसके अन्य मित्र तालियाँ बजा-बजाकर हँसने लगे। इस तरह उन्होंने हामिद की खिल्ली उड़ाई।
(iii) हामिद के मित्रों ने कौन-कौन से खिलौने खरीदे ?
उ: हामिद और उसके मित्रों ने खिलौनों के दुकान पर तरह-तरह के सुंदर खिलौने देखे। महमूद ने सिपाही लिया, मोहसिन ने भिश्ती और नगरे ने वक़ील खरीदा। सभी ने दो-दो पैसों में खिलौने खरीद लिए।
(iv) हामिद ने खिलौने न खरीदकर चिमटा क्यों ख़रीदा ?
उ: हामिद के मित्रों ने जब तरह-तरह के सुंदर खिलौने खरीदे तब उसने वह महँगे खिलौने नहीं खरीदे क्योंकि उसे लगा कि यह मिट्टी के खिलौने हाथ से छूटते ही चूर-चूर हो जाएंगे। आगे जाकर जब हामिद ने लोहे की दुकान पर चिमटा देखा तब उसे खयाल आया कि चिमटा घर में होने से उसकी दादी के हाथ रोटियाँ सेकते वक़्त नहीं जलेंगे और घर में एक काम की चीज़ भी हो जाएगी। यह सब सोचकर उसके चिमटा खरीदा।
(v) हामिद ने अपने चिमटे की तरिफ़ किस की ?
उ: हामिद ने अपने चिमटे की तारीफ करते हुए अपने मित्रों से कहा कि कंधे पर रखा, बंदूक़ हो गई। हाथ में लिया फ़कीरों का चिमटा हो गया। एक चिमटा जमा दूँ तो तुम लोगों के सारे खिलौनों की जान निकल जाए। तुम्हारे खिलौने कितना ही जोर लगा लें, मेरे चिमटे का बाल भी बाँका नहीं कर सकते। मेरा बहादुर शेर है चिमटा।
vi) कहानी में ईदगाह की नमाज का वर्णन किस प्रकार किया गया है?
उ: कहानी में ईदगाह का दृश्य अपूर्व था, यह कहा गया है। ऊपर इमली के घने वृक्षों की छाया के नीचे जाजिम बिछी हुई थी। रोज़दारों की पंक्तियाँ कई दूर तक चली गई थी। नए आनेवाले पीछे की कतार में खड़े हो जाते थे। बहुत अच्छी व्यवस्था और बहुत सुंदर संचालन था। लाखों सिरों की एक साथ सिजदे में झुकने, खड़े होने और एक साथ घुटनों के बल बैठ जाने की क्रिया ऐसे नजर आ रही थी जैसे बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ प्रदीप्त हो रही हैं और एक साथ बुझ रही हैं।
vii) हामिद से हमें क्या सीख मिलती है ?
उ: हामिद के चरित्र द्वारा हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने बड़ों के प्रति प्रेम और आदर प्रकट करना चाहिए और हमें अपने उत्तरदायित्वों को निभाने तथा वह हमें श्रमपूर्ण जीवन व्यतीत करने का संदेश भी देता है।