अभ्यास प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-15 शब्दों में लिखिए।

1) रहीमदास के अनुसार ‘माँगने वाला व्यक्ति’ किसके समान है ?
उ: रहीमदास के अनुसार ‘माँगने वाला व्यक्ति’ मृत व्यक्ति के समान है ।

2) समुद्र की महिमा क्यों घट गई ?
उ: रावण की कुसंगति के कारण समुद्र की महिमा घट गई I

3) रहीमदास के अनुसार सज्जन व्यक्ति संपत्ति का संचय क्यों करते हैं ?
उ: रहीमदास के अनुसार सज्जन व्यक्ति संपत्ति का संचय दूसरे लोगों के हित के लिए करते हैं ।

4) चंदन के पेड़ पर कौन लिपटा रहता है ?
उ:  चंदन के पेड़ पर सर्प लिपटा रहता है ।

5) अवध-नरेश विपदा के समय कहाँ रहे ?
:  अवध नरेश विपदा के समय चित्रकूट में रहे ।

6) ‘एकहि साधे सब सधे’ ऐसा रहीमदास रहीम क्यों कहते हैं ?
उ:रहीमदास जी का कहना है कि एक बात को हम अगर साधेंगे तो बाकी सब कुछ भी सध जाता है ।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए ।

1) रहीमदास ने परोपकारी मनुष्य के क्या लक्षण बताए हैं ?
उ: रहीमदास के अनुसार जिस प्रकार पेड़ अपने फल स्वयं न खाकर दूसरों को दे देता है और तालाब अपने पानी से दूसरों की प्यास बुझाता है वैसे ही परोपकारी व्यक्ति भी अपने संचित धन का उपयोग दूसरों के हित के लिए करते हैं। वह सिर्फ अपना लाभ नहीं देखते ।

2) रहीमदास के अनुसार थोड़े दिनों की विपदा ‘भली’ क्यों है ?
उ:  रहीम दास के अनुसार परोपकारी व्यक्ति थोड़े दिनों की विपत्ति को अच्छा मानते हैं । वे अपनी विपदाओं में अपना हित या अनहित चाहने वाले व्यक्तियों की पहचान कर लेते हैं । इससे उन्हें कौन अपना और कौन पराया इसका ज्ञात हो जाता है ।

3) कुसंग के किन लोगों का बचना संभव है ?
उ: जो लोग सत्चरित्र होते हैं उन पर कुसंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता । वह अपने सद्गुणों को नहीं छोड़ते। जैसे चंदन के पेड़ पर विषधारी सर्प रहते हैं फिर भी चंदन का पेड़ सुगंध देता है । उस पर विश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।

4) रहीमदास के अनुसार मूल को ही सींचना क्यों जरूरी है ?
उ: रहीमदास के अनुसार यदि हम एक बात को साधते हैं तो बाकी सब कुछ भी सध जाता है।  इसलिए यदि हम पौधे की जड़ को ही सींचे तो वह फूलने फलने लगता है ।

5) रहीमदास के अनुसार प्रेम का धागा टूटने का क्या परिणाम होता है ?
: रहीमदास के अनुसार प्रेम का धागा टूटने से रिश्ते में खटास आ जाती है, मनमुटाव हो जाता है । भले ही हम फिर से सब कुछ भुलाकर सब ठीक कर दें तो भी रिश्तों में एक गाँठ सी पड़ जाती है, पहले जैसा प्रेम और अपनापन नहीं रहता । इसलिए कभी भी प्रेम का रिश्ता नहीं तोड़ना चाहिए उन्हें सहेजना चाहिए ।