मुहावरे

1) धूल में मिलना – मिट्टी में मिलना, नष्ट होना
वाक्य: शंकर की शराब की लत ने सब कुछ धूल में मिला दिया ।

2) झिझकना-सोचना – संकोच करना, हिचकिचाना
वाक्य: रेखा अपनी माँ से सिनेमा देखने की अनुमति मांगने से झिझक रही थी ।

अभ्यास प्रश्न

(क) निम्नलिखित पद्य खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से ।

थी अभी एक बूंद कुछ आगे बढ़ी।

सोचने फिर-फिर यही जी में लगी ।

आग क्यों घर छोड़कर मैं यूं कढ़ी ।।

प्रश्न – 1) यह पद्य खंड किस कविता से लिया गया है ?
       उ:  यह पद्य खंड एक बूंद कविता से लिया गया है ।

  2) एक बूंद इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
       उ: इस कविता के कवि का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध है।

 3) एक बूंद कहाँ से निकली थी ?
       उ: एक बूंद बादलों की गोद से निकली थी ।

 4) बूंद जी में बार-बार क्या सोचने लगी ?
       उ: बूंद जी में बार-बार यह सोचने लगी कि वह घर से बाहर क्यों निकली ।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-12 शब्दों में लिखिए ।

1) बूँद समुंदर की सओर कैसे आई ?
उ: बूँद तेज हवा से बहकर समुंदर की ओर आई ।

2) अंत में बूँद कहाँ गिर पड़ी ?
उ: अंत में बूँद सीप के मुँह में गिर पड़ी ।

3) घर छोड़ते समय लोग क्या करते हैं ?
उ: घर छोड़ते समय लोग झिझकत- सोचते हैं ।

4) अंत में बूँद को कौन सा रूप मिला ?
उ: अंत में बूँद को मोती का रूप मिला ।

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए।

1) एक बूँद देव से कौन से प्रश्न पूछती है ?
उ: बूँद बादलों की गोद से निकलकर नीचे आते समय बड़ी असमंजस है कि क्या मैंने बाहर निकलकर सही किया।  वह देवता से पूछती है कि उसके भाग में क्या लिखा है क्या वह बचेगी या धूल में मिल कर नष्ट हो जायेगी या किसी अँगारे पर गिरकर जल जाएगी, या कमल के फूल में चू पड़ेगी ? बूंद अपने भविष्य को लेकर चिंतित है कि ना जाने अगले पल क्या होनेवाला है ।

2) बूँद को मोती का रोग कैसे प्राप्त हुआ ?
उ:  बूंद जब बादल की गोद से निकलकर बाहर आई तब एक तेज हवा का झोंका आया और उसे समंदर की और बहा ले गया । वहाँ एक सीप का मुँह खुला हुआ था। वह उसी में जा गिरी और मोती बन गई ।

3) एक बूंद कविता के माध्यम से कवि ने हमें क्या संदेश दिया है ?              
उ: एक बूंद कविता के माध्यम से कवि हमें यह संदेश देते हैं कि हमें साहस करके घर से निकलना चाहिए। घर छोड़ते समय हिचकना नहीं चाहिए।  अपने असुरक्षित भाव और भय को दरकिनार कर उन्नति की ओर अग्रसर होना चाहिए। जो व्यक्ति बिना हिचकिचाहट अपने लक्ष्य को पूरा करने, हिम्मत से निकल पड़ता है वही मंजिल पा लेता है और सफलता प्राप्त करता है।  बिना धैर्य और साहस के सफलता नहीं मिलती।

पर्यायवाची शब्द

बादल – मेघ, घन, जलधर             घर – गृह, सदन,निकेतन

फूल – कुसुम, सुमन, पुष्प             समुद्र – सागर, जलधि, रत्नाकर

देव – देवता, सूर,अजर                  हवा – वायु, समीर, पवन