अभ्यास प्रश्न

(क) निम्नलिखित पद्य-खंडों को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

(1) “मुझे पर्याप्त है, मेरे गांव की मिट्टी ही

      मेरे खेत की मिट्टी से जन्मा ईश्वर ही

      मुझे हर जगह मिलता है

     मेरी आराधना के समय।“

प्रश्न – 1) यह पद्य-खंड किस कविता से लिया गया है ?
उ: यह पद्य खंड ‘मेरा ईश्वर’ इस कविता से लिया गया है।

2) इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
: इस कविता के कवि का नाम डॉ मनोहर राय सरदेसाय है।

3) कवि के ईश्वर का जन्म कहाँ हुआ है ?
: कवि के ईश्वर का जन्म गाँव की मिट्टी में हुआ है।

4) कवि के लिए कौन पर्याप्त है ?
उ: कवि के लिए उसके गाँव की मिट्टी ही पर्याप्त है।

5) कवि को ईश्वर कहाँ मिलता है ?
उ: कवि को ईश्वर उनकी आराधना के समय हर जगह मिलता है ।

(2) मेरा ईश्वर व्याप्त- है खेतों में

      धैर्यशील मिट्टी की तरह खुले आकाश के नीचे-

      झिलमिलाते हुए उसके माथे की बिंदिया-रूप में।

प्रश्न- 1) यह पद्य-खंड किस कविता से लिया गया है ?
उ: यह पद्य-खंड ‘मेरा ईश्वर’ इस कविता से लिया गया है।

2) इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
: इस कविता के कवि का नाम डॉ मनोहर राय सरदेसाय है।

3) कवि का ईश्वर कहाँ व्याप्त है?
: कवि का ईश्वर खेतों में व्याप्त है।

4) ईश्वर खेतों में किस रूप में विद्यमान है?
: ईश्वर खेतों में धैर्यशील मिट्टी के रूप में विद्यमान है ।

5) खुले आकाश के नीचे ईश्वर किस रूप में झिलमिला रहा है ?
: खुले आकाश के नीचे ईश्वर उनके माथे की बिंदिया के रूप में झिलमिला रहा है।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-12 शब्दों में लिखिए।  

1) लोग अंधकारमय गर्भ-गृह में किस प्रकार की मूर्ति स्थापित करते हैं ?
उ: लोग अंधकारमय गर्भ-गृह में सोने और वज्र की मूर्ति स्थापित करते हैं।

2) कवि के अनुसार उसके ईश्वर का जन्म कहाँ हुआ है ?
उ: कवि के अनुसार उसके ईश्वर का जन्म उसके गाँव की मिट्टी में हुआ है ।

3) कवि का ईश्वर किसके लिए तरसता है ?
उ: कवि का ईश्वर अपने बीवी बच्चों के साथ दाने-दाने के लिए तरसता है।

4) लोगों का ईश्वर दरवाजा बंद करके क्यों बैठा है ?
उ: लोगों का ईश्वर चोरों के भय से आतंकित होकर दरवाजा बंद करके बैठा है ।

5) कवि का ईश्वर किन्हें सँभालता है ?
उ: कवि का ईश्वर दीन-दुखियों को सँभालता है।

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए।
1) कवि के अनुसार लोगों के ईश्वर का स्वरूप कैसा है ?
उ: कवि के अनुसार लोगों का ईश्वर सोने और वज्र की मूर्ति के रूप में अंधकारमय गर्भ-गृह में बंद है। वह चोरों के भय से आतंकित होकर सोना, चाँदी और रुपयों की नींव पर विराजमान है। वह दिये की लौ की तरह डरकर काँपते हुए किसी कोने में बैठा है।

2) कवि ने अपने ईश्वर की स्तुति किस प्रकार की है ?
उ: कवि ने अपने ईश्वर की स्तुति करते हुए कहा है कि उसका ईश्वर खेतों की मिट्टी में जन्मा हुआ है। उनका ईश्वर हर जगह व्याप्त है, वह जब भी जहाँ भी उसकी आराधना करना चाहें वह उन्हें वहाँ मिलता है। उनका ईश्वर धैर्यशील मिट्टी की तरह विद्यमान है। वह दीन-दुखियों को सँभालता है और उनकी रक्षा करता है। उनका ईश्वर खेतों की मिट्टी में अधिक शोभा पाता है।

3) कवि के ईश्वर और लोगों के ईश्वर में क्या अंतर है ?
उ: कवि का ईश्वर गाँव के खेतों की मिट्टी में जन्मा, हर जगह व्याप्त है। कवि को जब भी उनकी आराधना करनी होती है वह उन्हें हर जगह मिल जाते हैं। उनको मंदिर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।  उनका ईश्वर दीन-दुखियों को सँभालता तथा उनकी रक्षा करता है। लोगों का ईश्वर सोने और वज्र की मूर्ति के रूप में गर्भ-गृह के अंधकार में विराजमान है। वह चोरों से आतंकित है तथा डर के मारे दिए की लौ की तरह कांप रहे हैं। कवि का कहना है कि ईश्वर सोने-चाँदी के ढेर या मंदिर के गर्भगृहों में नहीं बल्कि खेतों में अधिक शोभा पाता है।

पर्यायवाची शब्द

मंदिर – देवालय, देवस्थान, देवगृह         आराधना – प्रार्थना, पूजा, उपासना

ईश्वर – प्रभु, भगवान, परमात्मा             सोना- स्वर्ण, कंचन, कनक