अभ्यास प्रश्न

(क) निम्नलिखित पद्य-खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए–

“इससे भी सुंदर समाधियाँ हम जग में हैं पाते,

उनकी गाथा, पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु की गाते।

पर कवियों की अमर गिरा में इसके अमिट कहानी,

स्नेह और श्रद्धा से गाती है वीरों की बानी।”

प्रश्न– (i) ये काव्य पंक्तियाँ किस कविता से ली गई हैं?
 उ: ये काव्य पंक्तियाँ ‘ झाँसी की रानी की समाधि पर ‘ इस कविता से ली गई हैं।

(ii) इस कविता की कवयित्री का क्या नाम है?
उ: इस कविता की कवयित्री का नाम सुभद्रा कुमारी चौहान है।

(iii) दूसरी सुंदर समाधियों की गाथा कौन गाते हैं?
: दूसरी सुंदर समाधियों की गाथा रात में क्षुद्र जंतु गाते हैं।

(iv) कवियों ने रानी की अमिट कहानी कैसे गाई है?
उ: कवियों ने रानी की अमिट कहानी स्नेह और श्रद्धा से गाई है।

2. बढ़ जाता है मान, वीर का रण में बलि होने से,

मूल्यवती होती सोने की भस्म यथा सोने से।

रानी से भी अधिक हमें अब यह समाधि है प्यारी

यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिंगारी।

(i) यह काव्य पंक्तियाँ किस कविता से ली गई है?
उ: यह काव्य पंक्तियाँ ‘ झाँसी की रानी की समाधि पर ‘ कविता से ली गई है।

(ii) इस कविता के कवि का नाम क्या है?
उ: इस कविता के कवि का नाम सुभद्रा कुमारी चौहान है।

(iii) वीरों का मान कैसे बढ़ जाता है?
उ: रण में बलि होने से वीरों का मान बढ़ जाता है।

(iv) सोने से मूल्यवान क्या है?
उ: सोने से मूल्यवान सोने की भस्म है।

(v) रानी से अधिक हमें क्या प्यारी है?
उ: रानी से अधिक प्यारी हमें उसकी समाधि हैं।

(vi) समाधि में क्या निहित है?
उ: समाधि में स्वतंत्रता की आशा की चिंगारी निहित है।

() निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर दसबारह शब्दों ने लिखिए

(i) रानी लक्ष्मीबाई अंत तक कैसे लड़ी?
उ: रानी लक्ष्मीबाई अंत तक शत्रुओं से वार पर वार सहकर वीरबाला की तरह लड़ी।

(ii) वीर का मान कब बढ़ जाता है?
उ: रण में बलिदान देने से वीर का मान बढ़ता है।

(iii) रानी की समाधि में क्या निहित है?
उ: रानी की समाधि में स्वतंत्रता की, आशा की चिंगारी निहित है।

(iv) सोने से भी अधिक मूल्यवान किसे माना गया है?
: सोने से भी अधिक मूल्यवान सोने की भस्म को माना गया है।

() निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर पच्चीसतीस शब्दों में लिखिए

(i) कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि को स्मृतिशाला क्यों कहा है?
उ: रानी लक्ष्मीबाई को झाँसी की रानी के नाम से जाना जाता है । उन्होने भारतीय क्रांति में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध किया था। झाँसी की रक्षा करने वे एक मर्दानी की तरह लड़ी थी। उन्हें रण-भूमि में कुर्बान होना मंजूर था पर आत्मसमर्पन करना मंजूर नहीं था। अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते हुए वे रण-भूमि में शहीद हो गई। रणभूमि में इस समाधि की जगह पर वह भग्न-हदय-माला जैसे बिखर गई। इस बलिदान से उसके फूल यहाँ संचित हैं। यह पवित्र समाधि स्मृति-शाला सी है। रानी लक्ष्मीबाई की कुर्बानी तथा वीरता की स्मृतियाँ इस समाधि में हैं।

(ii) रानी लक्ष्मीबाई की समाधि रानी से भी अधिक प्यारी कैसे हैं?
उ: कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई, अपनी भूमि की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से निर्भय होकर वीरता से लड़ी और अपना जीवन बलिदान कर दिया। कवयित्री के अनुसार जैसे सोने से अधिक मूल्यवान उसकी भस्म होती है वैसे ही रानी लक्ष्मीबाई से अधिक प्यारी उनकी समाधि है। इस समाधि से हमें नित्य स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती रहती है।