(क) सी हयांग के समय में पुस्तकें कैसे बनाई जाती थी ?
उ: सी हयांग के समय छापेखाने नहीं थे । पुस्तकें लकड़ी के टुकड़ों पर अक्सर खोदकर बनाई जाती थी ।
(ख) पाठ के आधार पर बताओ कि राजा को पुस्तकों से क्या खतरा था ?
उ: राजा को शक था कि हो सकता है किसी ने अपनी पुस्तकों में उनके पूर्वज तथा उनके बारे में भला बुरा लिखा हो । अगर उनकी प्रजा यह पढ़ लेगी तो इसका बुरा असर होगा ।उनका मानना था कि प्रजा को पुस्तकें पढ़ने नहीं चाहिए, उन्हें सिर्फ कसकर मेहनत करनी चाहिए और मुक होकर आज्ञा का पालन करते हुए कर चुकाते रहना चाहिए । अपने राज्य में लोग बागी ना बने और शांति बनी रहे इसलिए राजा ने सभी पुस्तकें जला दी ।
(ग) पुराने समय से ही अनेक व्यक्तियों ने पुस्तकों को नष्ट करने का प्रयास किया । पाठ में से कोई तीन उदाहरण ढूंढ कर लिखो ।
उ: निम्नलिखित उदाहरणों से हमें प्रतीत होता है की पुस्तकों को नष्ट करना करने का प्रयास किया गया था :
1) चीनी सम्राट सी हयांग ने प्रजा को अपने नियंत्रण में रखने के लिए सारी पुस्तकें जला दी ।
2) छठी शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय के विशाल पुस्तकालय के तीन विभागों को आक्रमणकारियों ने जलाकर राख कर दिया ।
3) प्राचीन नगर सिकंदरिया में एक बहुत बड़ा पुस्तकालय था जिसमें अनेक देशों की पांडुलिपियाँ, अनगिनत ग्रंथ थे उसको आक्रमणकारियों ने जला दिया ।
(घ) बार-बार नष्ट करने की कोशिशों के बाद भी किताबें समाप्त नहीं हुई । क्यों ?
उ: सम्राट सी हयांग के मृत्यु के उपरांत पुस्तकें जिनके बारे में अनुमान लगाया गया कि नष्ट हो गई, फिर से लकड़ी के कुंदो के रूप में प्रकट हो गई । पुस्तकें मनुष्य की चतुराई, अनुभव, ज्ञान, भावना, कल्पना और दूरदर्शिता से उत्पन्न होती हैं । पुस्तकें नष्ट करने से मानव के यह गुण समाप्त नहीं हो जाते । लोगों ने पुस्तकों को कंठस्थ कर लिया था, जिस कारण वह सदैव जीवित रहती हैं । इसलिए बार-बार नष्ट करने की कोशिशों के बाद भी किताबें नष्ट नहीं हुई ।
2) तुम्हारी बात
(क) किताबों को सुरक्षित रखने के लिए तुम क्या करते हो ?
उ: किताबों को सुरक्षित रखने के लिए उन पर कवर चढ़ाता हूँ ताकि वह फट न जाए और उन पर धूल मिट्टी बैठकर गंदी ना हो । मैं किताबों को सही से बचाकर अलमारी में रखता हूँ ।
(ख) पुराने समय में किताबें कुछ लोगों तक ही सीमित थी । तुम्हारे विचार से किस चीज के अविष्कार से किताबें आम आदमी तक पहुंच सकी?
उ: पुराने समय में आजकल जैसी कागज की किताबें नहीं थी । पत्थर तथा लकड़ी के टुकड़ों पर अक्सर कुरेद कर लिखा करते थे । जाहिर है ऐसी किताबों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान नहीं था इसलिए यह किताबें कुछ लोग ही पढ़ पाते थे। कागज की खोज तथा छापेखाने की वजह से एक पुस्तक की कई प्रतियाँ कुछ ही समय में बन सकती हैं । इसलिए यह पुस्तकें पूरे विश्व में पहुंच सकती हैं । आजकल तो इंटरनेट पर ई-बुक नाम से प्रचलित पुस्तकों को हम कभी भी कहीं भी पढ़ सकते हैं ।
3) सही शब्द भरो
(क) साहित्य की दृष्टि से भारत का ______ महान है । (अतीत / भूगोल)
(ख) पुस्तकालय के तीन विभागों को जलाकर _____ कर दिया गया । (गर्म / राख)
(ग) उसे किताबों सहित _______ में दफना दिया गया । (जमीन /आकाश)
(घ) कागज की जलता है, ______ तो उड़ जाते हैं । (शब्द / पांडुलिपियाँ)
उत्तर: 1) अतीत 2) राख 3) जमीन 4) शब्द
4) पढ़ो समझो और करो ।
इतिहास – इतिहासकार
शिल्प – शिल्पकार गीत – गीतकार
संगीत – संगीतकार मूर्ति – मूर्तिकार रचना – रचनाकार
5) दोस्ती किताबों से
(क) तुमने अब तक पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त कौन-कौन सी पुस्तकें पढ़ी हैं? उनमें से कुछ के नाम लिखो ।
उ: मैंने अब तक पंचतंत्र, चंपक, अरेबियन नाइट्स और दी जंगल बुक यह पुस्तकें पढ़ी हैं ।
(ख) क्या तुम किसी पुस्तकालय या पत्रिका के सदस्य हो ? उसका नाम लिखो ।
उ: हाँ, मैं जनता वाचनालय इस पुस्तकालय का सदस्य हूँ। यहाँ पर मुझे हर विषय पर पुस्तकें पढ़ने को मिलती हैं । यह ज्ञान का भंडार है ।
6) कहानी किताब की
मान लो कि तुम एक किताब हो । नीचे दी गई जगह में अपनी कहानी लिखो ।
मैं एक किताब हूँ । पुराने समय से ही मैं मनुष्य की मित्र रही हूँ । मनुष्य मुझसे ज्ञान अर्जित करता आया है । तब मुझे पत्थरों, शिलाओं, लकड़ी के टुकड़ों पर उकेरते थे । मुझे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में बहुत कठिनाई होती थी। इसलिए मुझसे मिलने वाला ज्ञान संकुचित लोगों तक ही पहुँच पाता था । परंतु धीरे-धीरे ताड़पत्रों का प्रयोग बड़ा, उसके बाद ताम्रपत्रों का प्रयोग होने लगा । बाद में कागज का इजाद हुआ, छापेखाने आ गए, फिर तो मैं अनगिनत लोगों तक पहुँचने लगी । आजकल तो इंटरनेट पर ई-पुस्तक के माध्यम से मुझे कहीं और कभी भी पढ़ा जा सकता है । मैं सदियों से निरंतर मनुष्य को ज्ञान देती आई हूँ और सदियों तक विद्यमान रहूँगी। लोग कहते हैं पुस्तकों से अच्छा मित्र कोई नहीं ।
7) वाक्य विश्लेषण
किसी भी वाक्य के दो अंग होते हैं – उद्देश्य और विधेय । वाक्य का विश्लेषण करने में वाक्य के इन खंडों और अंगों को पहचानना होता है ।
वाक्य : मेरा भाई मोहन कक्षा सात में हिंदी पढ़ रहा है ।
उद्देश्य
|
विधेय
|
मोहन के गुरु जी श्याम पट्ट पर प्रश्न लिख रहे हैं ।
नीचे लिखे वाक्य का विश्लेषण करो :
उद्देश्य
|
विधेय
|