प्र) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए

1) अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वावलंबी होना
– मरियम उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी ।

2) कन्नी काटना – उपेक्षा करना, अलग होना
– राजीव ने पढ़ाई-लिखाई से कन्नी काट ली ।

3) अलंकृत करना – सम्मानित करना
– रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से अलंकृत किया गया ।

प्र) निम्नलिखित शब्द युग्मों को वाक्य में प्रयोग कीजिए ।

1) चमक-दमक  :  मुरली शहर की चमक-दमक से स्तब्ध था ।

2) जीता-जागता : मेरी माँ ममता और त्याग का जीता-जागता उदाहरण है ।

3) पले-बढ़े  :  गोपी और शरद एक साथ एक ही गाँव में पले बढ़े थे ।

अभ्यास प्रश्न

क) निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।

अ) डॉक्टर माशेलकर मूलत: गोवा के माशेल गाँव का निवासी है । उनका जन्म 1 जनवरी 1943 को हुआ । पिता असमय चल बसे । आप अत्यंत गरीबी में पले-बढ़े । कभी खाने के लाले पढ़ते थे । नंगे पैर स्कूल जाते थे । रास्ते पर चलती बिजली के खंभों के नीचे पढ़ते थे ।

 प्रश्न- 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह गद्य-खंड डॉ रघुनाथ माशेलकर पाठ से लिया गया है ।

2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
: इस पाठ के लेखक का नाम डॉक्टर विश्वास मैनहाडले है ।

3) माशेलकर का जन्म कब हुआ ?
उ: माशेलकर का जन्म 1 जनवरी 1943 को हुआ ।

4) माशेलकर को अपनी पढ़ाई कहाँ करनी पड़ती थी ?
उ: माशेलकर को अपनी पढ़ाई रास्ते पर चलती बिजली के खंभों के नीचे करनी पड़ती थी ।

आ) डॉक्टर माशेलकर इस बात से चिंतित और दुखी हैं कि आज के युवक वैज्ञानिक शोध कार्य से कन्नी काटकर केवल पैसे के टट्टू बनते जा रहे हैं । वे एम.बी.ए. होकर मार्केटिंग के चक्कर में उलझते जा रहे हैं, साबुन, पेय, सौंदर्य प्रसाधन या उपभोग की वस्तुओं का मार्केटिंग करते घूम रहे हैं

प्रश्न- 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह गद्य-खंड डॉ रघुनाथ माशेलकर पाठ से लिया गया है ।

2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम डॉक्टर विश्वास मैनहाडले है ।

3) डॉक्टर माशेलकर किस बात से चिंतित हैं ?
उ: डॉ. माशेलकर इस बात से चिंतित हैं कि आज के युवा वैज्ञानिक शोध कार्य से कन्नी काट कर पैसे के टट्टू बनते जा रहे हैं ।

4) भारतीय युवक किन वस्तुओं की मार्केटिंग करते घूम रहे हैं ?
: भारतीय युवक साबुन,पेय, सौंदर्य प्रसाधन या उपभोग की वस्तुओं की मार्केटिंग करते घूम रहे हैं।

ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 15-20 शब्दों में लिखिए ।

1) डॉक्टर माशेलकर जी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस लड़ाई में जीत हासिल की है ?
उ: माशेलकर जी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बासमती चावल, हल्दी, नीम जैसी वस्तुओं के पेटंट से संबंधित लड़ाई में जीत हासिल की ।

2) डॉक्टर माशेलकर जी की अध्यक्षता में गठित समितियों के ने किन-किन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया ?
उ: डॉक्टर माशेलकर जी की अध्यक्षता में गठित समितियों ने सामाजिक, शैक्षिक, औषधि, ऑटोमोबाइल, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।

3) डॉक्टर माशेलकर किस संस्था के महानिदेशक रहे हैं ?
: डॉक्टर माशेलकर भारतीय वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक रहे हैं।

4) अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ माशेलकर जी ने क्या भविष्यवाणी की थी ?
उ: अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ माशेलकर ने यह भविष्यवाणी की थी कि भारत अपने पैरों पर खड़ा होकर इतनी उन्नति करेगा कि आगामी शताब्दी भारत की होगी ।

5) प्रि.भावे ने छात्र माशेलकर से क्या कहा ?
: प्रि.भावे ने छात्र माशेलकर से कहा कि जैसे उत्तल लेंस से सूरज की किरणें एक स्थान पर केंद्रित हो जाती हैं वैसे ही यदि तुम भी अपनी सारी शक्तियाँ एक दिशा में केंद्रित कर सको तो तुम दुनिया में कुछ भी कर सकते हो ।

6) डॉक्टर माशेलकर जी के अध्ययन और शोध के मुख्य विषय क्या रहे हैं ?
: डॉक्टर माशेलकर जी के अध्ययन और शोध के मुख्य विषय पालीमर विज्ञान और पेट्रोकेमिकल रहे हैं।

ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए ।

1) डॉ रघुनाथ माशेलकर जी के व्यक्तित्व का परिचय लेखक ने किस प्रकार दिया है ?
उ: डॉक्टर रघुनाथ मशेलकर का व्यक्तित्व आकर्षक है । हमेशा सूट-बूट या बुशशर्ट पैंट पहननेवाले ऊँचे और पतले हँसमुख, घुँघराले बालोंवाले माशेलकर जी सदैव उत्साह से भरे रहते हैं । वह एक प्रज्ञा-पुरुष, वैज्ञानिक और चिंतक है । वे स्वदेश प्रेमी व्यक्ति हैं । विदेशों में अनेक आकर्षक अवसर होते हुए भी वे व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर भारत वापस लौट आए । उन्होंने पैसे की चमक-दमक के प्रति आकर्षित होकर विदेशों में भागने वाले भारतीय नौजवानों के सामने एक अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया । वे सदैव उत्साहपूर्ण और रचनात्मक विचार करते हैं । उनकी हार्दिक इच्छा है कि वे मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कर भारत को एक बलशाली महासत्ता बनाएँ । वे उच्च पदों पर आसीन होते हुए भी सामान्य व्यक्तियों के साथ स्नेहभरा और मित्रता पूर्ण व्यवहार करते हैं । उनका व्यक्तित्व निश्चय ही आज के युवा वर्ग के लिए अनुकरणीय है।

2) किस प्रसंग के बाद डॉक्टर माशेलकर जी ने वैज्ञानिक बनने का निश्चय किया ?
उ: एक बार मुंबई की एक सामान्य पाठशाला के भौतिक शास्त्र के शिक्षा प्रि.भावे ने छात्रों को उत्तल लेंस की फोकस दूरी नापने का एक प्रयोग दिखाया । उन्होंने एक उत्तल लेंस की सहायता से सूर्य की किरणों को कागज के एक टुकड़े पर केंद्रित किया । थोड़ी देर बाद कागज का टुकड़ा जलने लगा । शिक्षक ने समझाया कि इसी प्रकार यदि तुम भी अपनी सारी शक्ति और क्षमता एक उद्देश्य पर केंद्रित कर दो तो दुनिया में कुछ भी कर सकते हो । इस प्रसंग के बाद बालक रघुनाथ के मन में वैज्ञानिक बनने की इच्छा जागृत हो उठी और उसने अपनी सारी शक्ति को केंद्रित कर वैज्ञानिक बनने का निश्चय कर लिया।

3) डॉक्टर माशेलकर जी आज के नौजवानों के सामने किस कारण आदर्श मिसाल बने हुए हैं ?
उ: आधुनिक भारत का युवा वर्ग वैज्ञानिक शोध कार्य में दिलचस्पी ना दिखा कर पैसों और विदेशों की चमक-दमक के पीछे दौड़ रहा है । आज का नौजवान साबुन, पेय और सौंदर्य प्रसाधन जैसी उपभोग की वस्तुओं की मार्केटिंग कर पैसा कमाना चाहता है । वह व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए देश प्रेम और देश के प्रति अपना कर्तव्य भूलता जा रहा है । डॉ रघुनाथ माशेलकर ने पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त करने के बाद विदेशों में उपलब्ध नौकरियों का प्रलोभन त्याग दिया । वे स्वदेश लौटकर भूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान में लग गए । इस प्रकार उन्होंने युवा पीढ़ी को देश सेवा का सबक सिखाकर सबके सामने एक आदर्श मिसाल प्रस्तुत की।

4) डॉक्टर माशेलकर जी की पढ़ाई कैसे हुई ?
उ: डॉ रघुनाथ माशेलकर जी के पिता असमय चल बसी । उनकी माताजी ने ही उनका पालन पोषण किया और उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया । वह अत्यंत गरीबी में पले-बढ़े । नंगे पैर स्कूल जाते और कई बार घर में खाने के लाले पड़े रहते थे । वह रास्ते पर चलती बिजली के खंभों के नीचे पढ़ते थे । महाविद्यालय का प्रवेश शुल्क जो केवल ₹26 था वह भी बड़ी तकलीफों को झेल कर उन्होंने जुटाया । इस प्रकार अभावों की जीवन जीते हुए भी उन्होंने पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

5) डॉक्टर माशेलकर जी को किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है ?
उ: डॉ रघुनाथ माशेलकर जी का वैज्ञानिक जगत में बहुमूल्य योगदान रहा है । उन्होंने कई महान अनुसंधान कर भारत और विश्व के उद्योगों का विकास किया । उनके इस योगदान के कारण उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार, डॉ शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार, विश्वकर्मा पुरस्कार, जी.डी. बिरला पुरस्कार, अतुल फाउंडेशन पुरस्कार, जे.आर.डी. टाटा लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया । भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पद्मभूषण और अंततः पद्म विभूषण की उपाधि से अलंकृत किया है । वास्तव में डॉक्टर माशेलकर एक अनुकरणीय सज्जन, देश प्रेमी और आदर्श वैज्ञानिक हैं।