अभ्यास प्रश्न

) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

अ) “माँ दीवार के साथ एक चौकी पर बैठी दुपट्टे में मूँह से लपेटे माला जप रही थी।  सुबह से तैयारी होती देखते हुए माँ का भी दिल धड़क रहा था। बेटे के दफ्तर का बड़ा साहब घर पर आ रहा है, सारा काम सुभीते से चल जाए।“

प्रश्न – 1) यह गद्य खंड किस पाठ से लिया गया है?
:  यह गद्य खंड ‘चीफ की दावत’ पाठ से लिया गया है।

2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ:
इस पाठ के लेखक का नाम भीष्म साहनी है।

3) माँ कहां बैठी थी ?
उ: माँ दीवार के साथ एक चौकी पर बैठी थी ।

4) माँ  क्या कर रही थी ?
उ:
माँ दुपट्टे में मुँह सिर लपेटे माला जप रही थी।

5) माँ का दिल क्यों धड़क रहा था ?
: घर में सुबह से दावत की तैयारी होते देख माँ का दिल धड़क रहा था।

6) माँ के मन में कौन सी इच्छा थी ?
: माँ के मन में यह इच्छा थी कि बेटे के दफ्तर का बड़ा साहब घर पर आ रहा , सारा काम सुभीते से चल जाए।

आ) माँ चुपचाप अंदर गई। अपनी पुरानी फुलकारी उठा लाई। साहब बड़ी रुचि से फुलकारी देखने लगे।  पुरानी फुलकारी थी जगह-जगह से उसके तागे टूट रहे थे और कपड़ा फटने लगा था। साहब की रुचि देखकर शामनाथ बोले, “यह फटी हुई है साहब, मैं आपको नई बनवा दूँगा। माँ बना देगी।“

प्रश्न- 1) यह गद्य खंड किस पाठ से लिया गया है?
उ:  
यह गद्य खंड ‘चीफ की दावत’ पाठ से लिया गया है।

2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ:
इस पाठ के लेखक का नाम भीष्म साहनी है।

3) माँ ने साहब को क्या चीज दिखाई?
उ:
माँ ने साहब को अपनी पुरानी फुलकारी दिखाई।

4) पुरानी फुलकारी की कैसी हालत हो गई थी ?
उ:
 पुरानी फुलकारी के जगह-जगह से तागे टूट रहे थे और कपड़ा भी फटने लगा था।

5) साहब की रुचि पंजाब की किस दस्तकारी में थी?
उ:
साहब की रुचि पंजाब की फुलकारी की दस्तकारी में थी।

6) शामनाथ ने साहब से क्या वादा किया ?
: शामनाथ ने साहब से वादा किया कि उसकी माँ उनके लिए नई फुलकारी बना देगी।

ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-15 शब्दों में लिखिए।

1) शामनाथ और उसकी पत्नी किस काम में व्यस्त थे?
उ:
शामनाथ और उसकी पत्नी चीफ की दावत की व्यवस्था में व्यस्त थे।

2) शामनाथ के सामने कौन सी अड़चन खड़ी हुई थी ?
उ:
 शामनाथ के सामने यह अड़चन आ खड़ी हुई थी कि मेहमान आने पर माँ का क्या करें, उसे कहा छिपाएं ।

3) माँ नींद में क्या करती थी ?
उ:
 माँ  नींद में खर्राटे लेती थी ।

4) शामनाथ ने अपनी माँ को कौन से कपड़े पहनने की हिदायत दी?
उ:
शामनाथ में अपनी मां को सफेद कमीज और सफेद सलवार पहनने की हिदायत दी ।

5) माँ के सारे जेवर  क्यों बिक गए थे ?
उ:
माँ के सारे सेवर रामनाथ की पढ़ाई में बिक गए थे।

6) माँ ने साहब को कौन-सा गीत सुनाया ?
उ:
माँ ने साहब को पुराना विवाह गीत सुनाया।

7) शामनाथ ने साहब को पंजाब की दस्तकारियों के विषय में क्या जानकारी दी ?
उ:
शामनाथ ने साहब को पंजाब की दस्तकारियों के विषय में यह जानकारी दी कि लड़कियाँ गुड़ियाँ बनाती है और औरतें फुलकारियाँ बनाती है ।

8) शामनाथ की माँ  हरिद्वार क्यों जाना चाहती थी ?
उ:
शामनाथ की मां हरिद्वार जाना चाहती थी क्योंकि उनके अनुसार उनके जीवन के थोड़े ही दिन बाकी थे जो वह भगवान का नाम लेकर बिताना चाहती थी।

9) माँ ने क्या सोचकर नई फुलकारी बनाना स्वीकार किया ?
उ:
माँ ने यह सोचकर फुलकारी बनाना स्वीकार किया कि फुलकारी पाकर साहब खुश होंगे और बेटे की तरक्की होगी ।

10) माँ ने दिल ही दिल में क्या कामना की ?
उ:
माँ ने दिल ही दिल में बेटे की उज्जवल भविष्य की कामना की ।

ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए।

1) चीफ की दावत के समय शामनाथ ने अपनी माँ के लिए क्या व्यवस्था की थी ?
उ:
शामनाथ के घर चीफ की दावत थी।  इसलिए शामनाथ और उसकी पत्नी ने सुनियोजित ढंग से सारी व्यवस्था कर ली थी परंतु अचानक जब उन्हें अपनी माँ का ख्याल आया तो वे उन्हें अड़चन सी लगी।  शामनाथ मां को कहीं और भेज नहीं सकते थे। पहले उन्होंने सोचा कि माँ जल्दी खाना खाकर कोठरी में चली जाएगी परंतु सहसा उन्हें ख्याल आया कि माँ सो गई तो खर्राटे लेगी जिसकी आवाज मेहमानों तक पहुंच जाएगी। शामनाथ ने यह निर्णय लिया कि माँ जल्दी खाना खा ले। जब तक मेहमान बैठक में बैठे रहेंगे तब तक वह बरामदे में बैठे और फिर जब मेहमान बरामदे में खाना खाने आए तो वह गुसल खाने के रास्ते बैठक में चली जाए। माँ को जल्दी सोने से मना किया और सफेद कमीज और सफेद सलवार और चूड़ियाँ पहनने का निर्देश दिया।

2) माँ की कौन सी बात और शामनाथ को तीर की तरह लगी ?
उ:
 शामनाथ के घर चीफ की दावत थी ।  वह अपने माँ को फटे पुराने कपड़े की तरह छिपाना चाहता था परंतु अगर चीफ का साक्षात माँ से हो जाए तो उन्हें लज्जित ना होना पड़े इसलिए उन्होंने माँ को सफेद सलवार और सफेद कमीज तथा चूड़ियाँ पहनने को कहा। इस पर माँ कहती है कि उनके पास चूड़ियाँ नहीं हैं । सारे जेवर शामनाथ की पढ़ाई में बिक गए। यह बात शामनाथ को तीर जैसी लगती है।

3) बरामदे में पहुंचते ही शामनाथ ने क्या दृश्य देखा?
उ:
बरामदे में पहुँचकर शामनाथ ने यह दृश्य देखा कि माँ बरामदे में कोठरी के बाहर कुर्सी पर ज्यों की त्यों बैठी थी मगर दोनों पाँव कुर्सी की सीट पर रखे हुए थे। सिर दाएँ से बाएँ और बाएँ से दाएँ झूल रहा था और मुँह से लगातार खर्राटों की आवाजें आ रही थी। जब सिर कुछ देर के लिए टेढ़ा होकर एक तरफ को थम जाता तो खर्राटे और भी गहरे उठते।  और फिर जब झटके से नींद टूटती तो फिर दाएँ से बाएँ झूलने लगता।  पल्ला सिर पर खिसक आया था और माँ के झड़े हुए बाल आधे गंजे सिर पर अस्त-व्यस्त बिखरे हुए थे।

4) माँ ने पार्टी में नया रंग कैसे भर दिया ?
उ:
जब शामनाथ ने माँ को कुर्सी पर अस्त-व्यस्त हालत में बैठे हुए देखा तो वह खिन्न हो गए।  जब शामनाथ ने माँ का साहब से परिचय कराया तो साहब प्रसन्न हो गए। साहब ने माँ से गाँव का कोई गीत सुनने की इच्छा प्रकट की। माँ ने पहले कहा उन्हें याद नहीं परंतु बेटे के आग्रह पर और उसके हित के लिए एक पुराना विवाह गीत गा दिया । उनका गीत सुनकर बरामदा तालियों से गूंज उठा। साहब ने भी आनंदित होकर तालियाँ पीटना बंद नहीं किया । शामनाथ की खीज भी प्रसन्नता में बदल गई थी।  इस तरह माँ ने पार्टी में नया रंग भर दिया ।

5) शामनाथ माँ के माध्यम से अपने स्वार्थ पूर्ति कैसे कराना चाहते थे ?
उ:
 शामनाथ के साहब अमरीकी थे। उन्हें गाँव के लोक गीतों, नृत्यों तथा हस्तकारी में रुचि थी।  जब उन्होंने पंजाब के हस्तकारी के बारे में पूछा तो शामनाथ ने उन्हें जानकारी दी कि लड़कियाँ, गुड़ियाँ और औरतें फुलकारी बनाती हैं । शामनाथ के साहब को माँ की दिखाई फुलकारी पसंद आई। शामनाथ ने अपनी माँ से फुलकारी बनाने को कहा परंतु मां ने अपने बूढ़ी आंखों की असमर्थता बताई।  लेकिन शामनाथ  को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। साहब को खुश कर नौकरी में तरक्की पाने हेतु वे किसी भी स्तर पर जाकर माँ के माध्यम से अपने स्वार्थ पूर्ति कराना चाहते थे।

6) चीफ की दावत कहानी में किस बात पर व्यंग्य किया गया है?
उ:
 चीफ की दावत कहानी के माध्यम से आज की बनावटी संस्कृति पर बड़ी गहराई से व्यंग्य किया गया है।  महानगरों के परिवेश में निरंतर बदल रहे जीवन मूल्यों को रेखांकित किया है। भारतीय संस्कृति में भगवान से ऊँचा स्थान रखने वाली माँ आज के जमाने में बेटे के लिए शर्म का कारण बन गई है।  इस पाठ में बेटा माँ को फटे पुराने कपड़े की तरह छिपाना चाहता है। वह यह भूल जाता है कि उसे इस मुकाम पर पहुँचाने के लिए उसकी माँ ने कितने बलिदान दिए हैं। भेद खुल जाने पर वह माँ के माध्यम से ही अपने स्वार्थ की पूर्ति करने से भी नहीं हिचकता। आज की पीढ़ी माता-पिता को वह सम्मान व श्रद्धा प्रदान नहीं करती जिसके वे योग्य हैं बल्कि हर परिस्थिति में अपना लाभ और मान देखते हैं।