(क) निम्नलिखित गद्य–खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
1. बाबू हरिदास का ईंटों का पजावा शहर से मिला हुआ था। आसपास के देहातों से सैकड़ों स्त्री-पुरुष, लड़के नित्य आते और पजावे से ईंटें सिर पर उठा कर कतारों से सजाते। एक आदमी पजावे के पास पैसे लिए बैठा रहता था। मजदूरों को ईंटों की संख्या के हिसाब से पैसे मिलते इसलिए बहुत-से मजदूर बूते के बाहर काम करते। वृद्धों और बालकों को ईंटों के बोझ से अकड़े हुए देखना बहुत करुणाजनक दृश्य था।
प्रश्न– (i) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘गुप्तधन’ पाठ से लिया गया है।
(ii) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘प्रेमचंद’ है।
(iii) मजदूरों को मजदूरी किस हिसाब से मिलती थी?
उ: मजदूरों को ईंटों की संख्या के हिसाब से मजदूरी मिलती थी।
(iv) सबसे करुणाजनक दृश्य कौन-सा था?
उ: वृद्धों और बालकों को ईंटों के बोझ से अकड़े देखना बहुत करुणाजनक दृश्य था।
2. जब चारों ओर सन्नाटा छा जाता तो हरिदास मंदिर के चबूतरे पर आ बैठते और एक कुदाली से उसे खोदते। चबूतरा लंबा-चौड़ा था। उसे खोदते एक महीना लग गया और अभी आधी मंजिल भी तय न हुई। इस दिनों उनकी दशा उस पुरुष की-सी थी जो कोई मंत्र जगा रहा हो। चित्त पर चंचलता छाई रहती। आँखों की ज्योति तीव्र हो गई थी। बहुत गुम-सुम रहते, मानो ध्यान में हों। किसी से बातचीत न करते, अगर कोई छेड़कर बात करता तो झुँझला पड़ते।
प्रश्न– (i) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘गुप्तधन’ पाठ से लिया गया है।
(ii) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है।
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘प्रेमचंद’ है।
(iii) चबूतरे को एक महीना खोदने पर भी आधी मंजिल क्यों नहीं तय हुई?
उ: चबूतरा लंबा-चौड़ा था, इसलिए एक महीने तक खोदने पर भी आधी मंजिल तय नहीं हुई।
(iv) उन दिनों हरिदास की स्थिति किस पुरुष की-सी थी?
उ: इन दिनों हरिदास की स्थिति उस पुरुष की-सी थी, जो कोई मंत्र जगा रहा हो।
(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर पन्द्रह/बीस शब्दों में लिखिए–
(i) मगनसिंह के घर पर कौन कौन थे?
उ: मगनसिंह के घर में उनकी वृद्धा रोगग्रस्त माता थी।
(ii) मगनसिंह की माँ को बीजक कहाँ मिला?
उ: मगनसिंह के पिता के छुपाए गए गुप्तधन का बीजक उसकी माँ को रद्दी कागजों में मिला।
(iii) बीजक के अनुसार धन किस जगह पर स्थित था?
उ: बीजक के अनुसार धन मगनसिंह के घर से 500 डग पश्चिम की ओर एक मंदिर के चबूतरे के नीचे स्थित था।
(iv) बीमारी में हरिदास को बार-बार क्या भ्रम होता था?
उ:बीमारी में हरिदास को बार-बार यह भ्रम होता था कि कहीं यह दशा मेरी तृष्णा का दंड तो नहीं है।
(v) लोहे के संदूक में कितनी मोहरें थीं?
उ: लोहे की संदूक में दस हजार पुरानी सोने की मोहरें थी।
(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर चालीस/पचास शब्दों में लिखिए–
(i) बाबू हरिदास के ईंटों के पजावे में मजदूर किस प्रकार काम करते थे?
उ: हरिदास के ईंटों के पजावे में सैकड़ों स्त्री-पुरुष नित्य आते और काम करते थे। वह ईंटे सिर पर उठाकर ऊपर कतारों में सजाते थे। मजदूरों को ईंटों के हिसाब से पैसे मिलते थे। इसलिए ये बूते के बाहर काम करते। वृद्ध और बालकों की ईंटों के बोझ से अकड़े देखकर दया आती थी। इनमें एक छोटा लड़का था जो हमेशा अपने बराबरी के बच्चों से दुगुना काम करता। बाकी बच्चों की तरह मौज-मस्ती किए बिना धैर्य के साथ अविश्राँत परिश्रम करता। उसमें बच्चों सी न चंचलता, न शरारत, न खिलाड़ीपन,न होठों पर हँसी थी।
(ii) हरिदास को मगनसिंह के बारे में कौन-सी जानकारी प्राप्त हुई?
उ: हरिदास को मगनसिंह के बारे में यह जानकारी प्राप्त हुई कि उसका घर पास ही के गाँव में है। घर में एक वृद्धा माँ है जो पुराने रोग से ग्रस्त है। घर का सारा भार मगनसिंह पर हैं। काम से लौटकर वह अपनी माँ को रोटियाँ बनाकर खिलाता है। किसी समय उसका घराना धन धान्य से संपन्न था। जमीन थी, शक्कर का कारखाना था पर भाइयों के स्पर्धा और विद्वेष ने सब छीनकर उसे इस बुरा अवस्था में पहुँचा दिया। रोटियों के लाले पड़े तो उसने ईंटों के पजावे में मजदूरी कर अपनी माँ तथा अपना पेट पालना शुरू किया। मगनसिंह की दर्दभरी कहानी सुनकर हरिदास को दया तथा सहानुभूती हुई।
(iii) मगनसिंह की माँ ने हरिदास जी से क्या निवेदन किया?
उ: तीन दिनों से काम पर न आए मगनसिंह की पूछताछ करने हरिदास उसके घर पहूँच गए। हरिदास मगनसिंह की माँ से मिले। मगनसिंह की माँ को ज्ञात था कि वह मगनसिंह पर कृपा दृष्टि रखते हैं। उन्हें उनपर पूरा विश्वास था इसलिए उन्होंने गुप्तधन और बीजक के बारे में पूरी जानकारी दी और उनसे निवेदन किया कि वह मगनसिंह की रक्षा करें और उसपर मेहरबानी की निगाहें बनाए रखें। उन्होंने हरिदास से प्रार्थना की, कि अवसर मिलने पर गुप्तधन की खुदाई कर मगनसिंह को सौंप दें।
(iv) तहखाना देखकर हरिदास जी की क्या हालत हुई?
उ: मगनसिंह की माँ ने पूरे विस्वास के साथ पुरखों के गुप्तधन का बीजक हरिदास के हवाले कर दिया। उसे पूरा विश्वास था कि वह धन प्राप्त कर मगनसिंह को सौंप देंगे। धन भोगने की लालसा में उनकी नीयत बिगड़ गई। जिस अनाथ को अपने बच्चे की तरह पाला था, आज उसी के साथ विश्वासघात कर रहे थे। उन पर धन का नशा इस तरह छाया कि उनके बुद्धि-विवेक का अपहरण हो गया। बीजक के सहारे उन्होंने तहखाने की खोज कर ली। पर तहखाना पाकर वे उछले-कूदे नहीं, घर लौटे तो उन्हें बुखार आ गया और तिन दिनों तक वह बिस्तर पर पड़े रहे किसी भी दवा से फायदा नहीं हुआ।
(v) बीजक मिलने पर प्रभुदास जी के मन में कौन-से विचार आए?
उ: हरिदासजी के मृत्यु के बाद गुप्तधन का बीजक उनके बेटे प्रभुदासजी के हाथ लगा। बीजक देखकर उनकी भी नीयत बिगड़ गई। वह भी शहर के रईसों की गिनती में आना चाहते थे। वह सोचने लगे कि मेरे पिताजी नीति – परायण और सत्यवादी पुरुष होने के बावजूद भी जब उनकी नीयत बिगड़ गई तो मेरी क्या गिनती है। उन्होंने अपने पिता के घृणित आचार पर पर्दा डालकर उन्होंने गुप्तधन प्राप्त करने का निश्चय किया। गुप्तधन प्राप्त होते ही वह भी अपने पिता की तरह बीमार हो गए। उनके जीवन ने तृष्णा का रूप धारण किया। अंत में मृत्यु से पहले उन्होंने
गुप्तधन उसके असली मालिक मगनसिंह को सौंप दिया। इस तरह अपनी तथा अपने पिता के कृत्यों का पाश्चाताप कर मुक्ति प्राप्त की।
घ) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:-
1. जौहर दिखाना – करतब दिखाना, हुनर दिखाना।
– सरकस में जानवर विविध प्रकार के जौहर दिखाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।
2. बूते के बाहर होना – क्षमता से अधिक होना।
– ऊँचे पहाड़ पर चढ़ना रमा के बूते के बाहर था।
3. परास्त करना -हराना ।
– टीपू सुल्तान ने अँग्रेजों को परास्त कर दिया था।
4. नाम पर धब्बा लगना – कलंकित होना।
– बेटे के कुकर्मों ने पिता के नाम पर धब्बा लगा दिया।
5. लाले पड़ना – खाने के लिए ना मिलना | किसी चीज का अभाव होना।
– नौकरी चली जाने से शर्माजी के घर में लाले पड़ गए।
6. भंडाफोड़ होना – भेद खुलना, रहस्य खुल जाना।
– रामा ने रंजन की चोरी की बात बताकर भंडाफोड़ दिया।
7. भाग्य जाग उठना – अच्छे समय का आना।
– लॉटरी लगने से किशोर के भाग्य जाग उठे।
8. आँखें फेरना – विमुख होना।
– शांतीलाल के व्यापार में घाटा होते ही सब परिजनों ने आँखें फेर ली।
9. आँखें उलट जाना – मरना
– लंबी बीमारी के बाद दादाजी की आँखें उलट गई।
10. कानों कान खबर ना होना – किसी को खबर ना होना।
– चोर ने दिन दहाड़े चोरी की लेकिन किसी को कानों कान खबर न हुई।
11. आँखे मिलाना – बराबरी करना
– गाँव में जमींदार का इतना रुतबा था कि कोई उनके आँखें मिलाने की जुर्रत नहीं करता था।
ड) निम्नलिखित शब्दयुग्मों को वाक्य में प्रयोग कीजिए।
1. अनुनय-विनय – बहुत अनुनय–विनय के बाद माँ ने मुझे सिनेमा जाने की अनुमति दी।
2. उछल-कूद – बंदर पेड़ों पर उछल–कूद कर रहे थे।
3. गुम-सुम – रेखा कक्षा में गुम–सुम बैठी थी।
4. धन-धान्य – किसान का परिवार धन–धान्य से पूर्ण था।
5. बार-बार – आज मुझे बार–बार मेरी दीदी की याद आ रही है।
6. पढ़ा-लिखा – हर पिता अपनी बेटी के लिए पढ़ा–लिखा वर ढूँढ़ता है।
7. लेन-देन – बुरे लोगों से हमें कोई लेन–देन नहीं रखना है।
च) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची या समानार्थी शब्द लिखिए ।
1)कसर – कमी 2) मिसाल – उदाहरण 3) सफर – यात्रा
4) ठग – धूर्त, धोखेबाज 5) लड़ाई – युद्ध, संग्राम 6) शीत – सर्दी, ठंडक
7) सागर – समुंद्र, समंदर 8) जल – पानी 9) अनुपम – बेजोड़
10) वक्त – समय
कुछ और: 11) हाजिर – उपस्थित 12) दर्द – पीड़ा, वेदना
13) तहखाना – तलघर 14) कूल – घराना, खानदान 15) स्त्रोत – उद्गम
16) ताकीद – निर्देश 17) जाहिल – मूर्ख 18) फाका – उपवास
19) प्रपात- झरना 20) सरहद – सीमा 21) संदेश – शक
22) तृष्णा – प्यास 23) घृणा- नफरत 24) असर – परिणाम
25) निगाह – दृष्टि 26) मंदिर – देवालय 27) दुर्घटना – अपघात
छ) निम्नलिखित शब्दों के विलोमार्थी शब्द लिखिए:-
1) उपस्थित – अनुपस्थित 2) आशा – निराशा 3) महँगा – सस्ता
4) खुश – नाखुश 5) अँधेरा – उजाला 6) असर – बेअसर
7) आरंभ – अंत 8) ताजी – बासी 9) शांत – अशांत
10) यश – अपयश 11) निश्चित – अनिश्चित 12) सदुपयोग – दुरुपयोग
13) जीवित – मृत 14) ज्ञात – अज्ञात 15) परिचित – अपरिचित
16) मेहनत – आलस्य 17) समय – असमय 18)शिक्षित – अशिक्षित
19) सुदिन – दुर्दिन 20) सत्य – असत्य 21) महात्मा – दुरात्मा
22) रोगी – स्वस्थ 23) धर्म – अधर्म 24) कठिन – आसान
25) अनाथ – सनाथ 26) कुशल – अकुशल 27) थकान – ताजगी
28) हाजिर – गैरहाजिर 29) प्रसन्न – अप्रसन्न 30) प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष