(क) निम्नलिखित गद्य–खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
1. हरिदास धन को भोगना चाहते थे, पर इस तरह कि किसी को कानों-कान खबर ना हो। नाम पर धब्बा लगने की प्रबल आशंका थी। कितनी घोर नीचता थी। जिस अनाथ की रक्षा की, जिसे बच्चे की भाँति पाला, उसके साथ विश्वासघात। कई दिनों तक आत्मावेदना की पीड़ा सहते रहे। अंत में कुतर्कों ने विवेक को परास्त कर दिया।
प्रश्न– (i) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘गुप्तधन’ पाठ से लिया गया है।
(ii) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘प्रेमचंद’ है।
(iii) हरिदास की नीचता किस में थी?
उ: हरिदास ने जिस अनाथ की रक्षा की, जिसे बच्चे की तरह पाला उसी के साथ विश्वासघात किया, इसी में उसकी नीचता थी।
(iv) हरिदास के विवेक को किसने परास्त कर दिया?
उ: हरिदास के विवेक को उनके कुतर्कों ने परास्त कर दिया।
2. प्रभात का समय था। प्रभुदास अपने कमरे में लेटे हुए थे। सामने लोहे के संदूक में दस हजार पुरानी मोहरें रखी हुई थीं। उनकी माता सिरहाने बैठी पंखा झल रही थीं। प्रभुदास ज्वर की ज्वाली से जल रहे थे। करवटें बदलते थे, कराहते थे, हाथ-पाँव पटकते थे, पर आँखें लोहे के संदूक की ओर लगी हुई थीं। इसी में उनके जीवन की आशाएँ बंद थीं।
प्रश्न– (i) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘गुप्तधन’ पाठ से लिया गया है।
(ii) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘प्रेमचंद’ है।
(iii) लोहे के संदूक में क्या था?
उ: लोहे के संदूक में दस हजार पुरानी मोहरें थी।
(iv) प्रभुदास की आँखें संदूक पर क्यों लगी थी?
उ: प्रभुदास की आँखें संदूक पर लगी थी क्योंकि मोहरों के रूप में उनके जीवन की आशाएँ उसमें बंद थी।
ग) प्रश्नों के उत्तर लिखो ।
1. मगनसिंह कैसा लड़का था?
उ: मगनसिंह परिश्रमी, कर्तव्यशील और चतुर लड़का था।
2. मजदूरों को पजावे पर कैसे पैसा मिलते थे?
उ: मजदूरों को पजावे पर ईंटों की संख्या के हिसाब से पैसे मिलते थे।
3. हरिदास को मगनसिंह पर दया क्यों आती थी?
उ: मगनसिंह में लड़कपन था, न शरारत, न खिलाड़ीपन, न होठों पर हँसी इसलिए हरिदास को मगनसिंह पर दया आती थी।
4. संपन्न कुल होने के बावजुद मगनसिंह और उसका परिवार हीनावस्था में कैसे पहुँचा?
उ: मगनसिंह का पुल धन-धान्य से संपन्न था तथा शक्कर का कारखाना भी था परंतु भाइयों की स्पर्धा और विद्वेष से वे हीनावस्था में पहुँचा।
5) हरिदास ने मुंशीजी को क्या ताकीद दी?
उ: हरिदास ने मुंशीजी को मगनसिंह को पढ़ाना-लिखाने की ताकीद दी।
6) मगनसिंह ने हरिदास के यहाँ कैसे तरक्की थी?
उ: अपनी कर्तव्यशीलता व कुशलता से हरिदास का विश्वास पाकर मजदूर से नौकर और मुंशी बन तरक्की की।
7) हरिदास मगनसिंह के घर क्यों गए?
उ: मगनसिंह तीन दिनों से गैरहाजिर था। हरिदास चिंतित थे कि कहीं वह बीमार या दुर्घटनाग्रस्त तो नहीं हुआ है, उसकी खोजखबर लेने वे उसके घर गए।
8) मगनसिंह का घर कैसा था?
उ: मगनसिंह का घर पुरानी समृद्धि का ध्वंसावशेष था। उसके घर में सुखी, ईंटों के ढेर चारों ओर पड़े हुए थे। सिर्फ दो कमरे रहने लायक थे।
9) मगनसिंह की माँ की क्या लालसा थी।
उ: मगनसिंह कि माँ की हरिदासजी से मिलने की लालसा थी।
10) माँ ने हरिदास से क्या निवेदन किया?
उ: मगनसिंह की रक्षा तथा सदैव उसपर निगाह बनाए रखने का निवेदन माँ ने हरिदास से किया।
11) माँ ने हरिदास से क्या प्रार्थना की?
उ: माँ ने हरिदास से प्रार्थना की कि वे बीजक के आधार पर पुरखों द्वारा छिपाया धन खुदवाकर मगनसिंह को सौंप दें।
12) हरिदास धन को किस प्रकार भोगना चाहता था?
उ: हरिदास धन को इस प्रकार भोगना चाहता था कि किसी को खबर न हो और नाम पर धब्बा भी ना लगे।
13) हरिदास के विवेक पर कुतर्कों का क्या असर हुआ?
उ: कुतर्कों ने हरिदास के विवेक को परास्त कर दिया और वे धर्म पथ से विचलित हो गए।
14) चबूतरा खोदते वक्त हरिदास की दशा कैसी थी।
उ: चबूतरा खोदते वक्त हरिदास की दशा उस पुरुष के जैसी थी जो कोई मंत्र जग रहा हो। चित्त पर चंचलता छाई रहती और आँखों की ज्योति तीव्र हो गई थी। गुमसुम रहते किसी से बातचीत न करते और झुँझला पड़ते थे।
15) रुग्णावस्था में हरिदास को क्या भ्रम होता था?
उ: रुग्णावस्था में हरिदास को भ्रम होता था कहीं यह मेरी तृष्णा का दंड तो नहीं है।
16) हरिदास मगनसिंह से क्षमा की याचना क्यों नहीं कर पाए?
उ: हरिदास मगनसिंह से क्षमा याचना नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें डर था कि उनका भंडाफोड़ हो जायेगा।
17) प्रभुदास ने पिता की नीयत पर संदेह क्यों नहीं किया?
उ: प्रभुदास के मतानुसार उसके पिता नीतिपरायण और सत्यवादी पुरुष थे। जब उन्होंने इस आचार को घृणित नहीं माना तो उसने अपने पिता की नीयत पर संदेह नहीं किया।
18) प्रभूदास तहखाने के खजाने की लालसा क्यों कर रहे थे?
उ: प्रभूदास यह सोचते थे कि तहखाने का खज़ाना हाथ लगेगा तो शहर के रईसों को धन का सदुपयोग करके दिखा देंगे तथा सुख का जीवन व्यतीत करेंगे।
19) प्रभुदास ने चट्टान हटाने की क्या युक्ति की?
उ: प्रभुदास ने चट्टान बारूद से उड़ाने की युक्ति की।
20) अंत समय में मगनसिंह को सामने देखकर प्रभूदास की कैसी दशा थी?
उ: अंत समय में संदूकपर टिकी प्रभुदास को आँखों ने मगनसिंह को देखा तो उनके शरीर में फिर से रक्त-संचार और स्फूर्ति दिखाई दी और उन्होंने मगनसिंह के कानों में धन की बात बताकर संदूक की ओर इशारा किया और अपने प्राण त्याग दिए।