(क) निम्नलिखित पद्य-खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

1. “दौड़ निकल आ घर से, देख बाहर हो रहा प्रकाश
   निकलेगा सूरज निश्चय ही,  होगी जय निश्चय ही ।“

प्रश्न-  1) यह पद्य-खंड किस कविता से लिया गया है ?
उ:
 यह पद्य-खंड ‘धरे रहो धीरज’ इस कविता से लिया गया है ।

2)  इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
उ:
 इस कविता के कवि का नाम रविंद्रनाथ ठाकुर है  ।

3)  कवि के अनुसार सूरज निकलने से क्या होने वाला है ?
:  कवि के अनुसार सूरज निकलने से हमारी विजय निश्चित ही होने वाली है ।

4)  सूरज निकलने पर कवि हमसे क्या करने के लिए कहता है ?
:  सूरज निकलने पर कवि हमसे दौड़कर घर से बाहर निकलने के लिए कहता है ।

2. यह सारे हैं केवल रात के दैत्य, सब भीतर से हैं खोखले,
     इनसे न डर, आएगा सवेरा जरूर, इसमें संशय नहीं, होगी जय निश्चय की ।

प्रश्न-  1) यह पद्य-खंड किस कविता से लिया गया है ?
उ:
 यह पद्य-खंड ‘धरे रहो धीरज’ इस कविता से लिया गया है ।

2)  इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
उ:
 इस कविता के कवि का नाम रविंद्रनाथ ठाकुर है ।

3) रात के दैत्य कैसे होते हैं ?
उ:
रात के दैत्य डरावने होते हैं परंतु वे अंदर से खोखले होते हैं ।

4) कवि हमें क्या विश्वास दिलाते हैं ?
उ:
कवि  हमें यह विश्वास दिलाते हैं कि डरो नहीं इसमें कोई संशय नहीं कि सवेरा होगा और निश्चित ही हमारी जीत होगी ।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 15-20 शब्दों में लिखिए ।

1)  कवि धीरज और साहस न छोड़ने को क्यों कहता है ?
: कवि का विश्वास है कि हमारी विजय निश्चित है इसलिए हमें धीरज और साहस नहीं छोड़ना  चाहिए ।

2) कवि के अनुसार अंधकार दूर होने पर क्या होगा ?
उ:
कवि के अनुसार अंधकार दूर होने पर चारों ओर सूरज के उदय से प्रकाश होगा, हमारा भय   दूर हो जाएगा और हमारी विजय होगी ।

 3) हमें रात के दैत्यों से डरने की जरूरत क्यों नहीं है /
:  रात के दैत्य डरावने होते हैं परंतु वह अंदर से खोखले होते हैं, इसलिए हमें रात के दैत्यों से नहीं डरना चाहिए ।

(ग)  निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए ।

1) कविता में सूर्योदय का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उ:
आकाश में पूरब दिशा में प्रकाश दिख रहा है। पूरब की लालिमा इस बात का प्रतीक है कि सूर्य का उदय हो रहा है । इस प्रकाश में रात के दैत्य जो डरावने परंतु खोखले होते हैं डर के भाग रहे हैं । दूर पूरब दिशा में आकाश के थाल पर सूरज झलकने लगा है और यह संदेश दे रहा है कि हमें अंधकार अर्थात मुसीबतों से डरना नहीं चाहिए । सुबह का उजाला हमारी विजय का प्रतीक है ।

2) इस कविता में कवि ने क्या विश्वास व्यक्त किया है ?
उ:
कवि का विश्वास है कि मुसीबतों और दुखों का गहन अँधेरा दूर हो जाएगा । गहन अँधकार को चीरकर सूरज अवश्य उदित होगा और सवेरा जरूर आएगा। मनुष्य को धैर्य रखना चाहिए क्योंकि धैर्यवान व्यक्ति ही जीवन में आने वाले संकटों का सामना कर सकता है । धीरज और साहस के बल पर जीत निश्चित है ।