निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग करो ।

1) बल खाना – टेढ़ा होना
पहाड़ों पर बनी सड़कें बलखाती हुई चलती हैं ।

2) माथा ठनकना – अनिष्ट की आशंका होना।
बाजार से लौटने पर घर का दरवाजा खुला देख रेखा का माथा ठनका ।

3) मेहनत करना – विनती करना
मजदूर ठेकेदार से अपनी मेहनत के पूरे पैसे देने की मिन्नत करने लगा ।

4) दिल बैठ जाना – व्याकुल होना, बेचैन होना
अस्पताल से फोन आते ही माँ का दिल बैठ जाता था ।

5) चेहरा तमतमा जाना – क्रोधित होना
राजू की गलती पर पिताजी का चेहरा तमतमा गया ।

6) सुन्न हो जाना – जड़वत हो जाना
अपने अनुत्तीर्ण होने का समाचार सुन राघव सुन्न हो गया । 

7) सिक्का जम जाना – प्रभाव या अधिकार स्थापित होना ।
बी.जे.पी ने चुनाव में अपना सिक्का जमा दिया ।

8) अवाक्  रह जाना – चकित रह जाना
सर्कस में जानवरों के करतब देख मैं अवाक् रह गई ।

9) दम तोड़ना – अंतिम साँस लेना
– 
कुत्ते ने दुर्घटना के बाद रास्ते पर ही दम तोड़ दिया । 

निम्नलिखित शब्द युग्म का वाक्य में प्रयोग करो ।

1) बार-बार :  शिक्षकों के बार-बार चुप कराने पर भी बच्चे चिल्ला रहे थे ।

2) बाएँ-दाएँ :  बाएँ-दाएँ देखकर रास्ता पार करना चाहिए ।

3)झिक-झिक:  पत्नी की झिक-झिक से पति परेशान हो गया ।

4) दस-बारह :  मैं अपने मित्र से दस-बारह वर्ष बाद मिला था ।

5) सोचते-सोचते :  रीमा अपनी चिंता में सोचते-सोचते काफी आगे निकल गई ।

6) अभी-अभी :  अभी-अभी मुझे पता चला है कि मामा जी आ रहे हैं ।

7) ऊँचे- ऊँचे : ऊँचे – ऊँचे पहाड़ों पर बर्फ की चादर बिछी हुई थी ।

8) खाने-पीने : काम की धुन में रजत को खाने-पीने की भी सुध न रही।

Textual Questions

(क) निम्नलिखित गद्य-खंड को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।

— अहमदू सोच रहा था, क्यों न वह उस मुर्गी को खरीद ले ! खाली हाथ घर जाना अच्छा नहीं । और कुछ नहीं तो नन्हा नूरू ही उससे खेल-खेलकर खुश होता रहेगा कितनी प्यारी है । कभी ना कभी अंडे भी देगी । जरूरत पड़ने पर बेची भी जा सकती है, खाई भी जा सकती है ।

 प्रश्न – 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ:
  यह गद्य-खंड ‘मुर्गी की कीमत’ इस पाठ से लिया गया है ।

2) इस पाठ के लेखक कौन हैं ?
उ:
 इस पाठ के लेखक का नाम भीष्म साहनी है ।

3) अहमदू क्या खरीदना चाहता है ?
: अहमदू मुर्गी खरीदना चाहता है ।

4) नूरु के लिए मुर्गी की क्या अहमियत हो सकती है ?
:  नूरु मुर्गी से खेल-खेलकर खुश हो सकता है ।

—  मेज़ के पीछे बाबू चुपचाप बैठे थे । एक पीली पगड़ी बाँधे हुए करीब पैंतीस वर्ष का कश्मीरी पंडित था । उसके चेहरे से जाहिर था कि उसका हाजमा और इमान दोनों कमजोर हैं । उसके सामने मेज पर एक संदूकचा पड़ा हुआ था, जिसमें चुंगी के पैसे जमा किए जाते थे । दूसरा बाबू आँखों पर सस्ता सा चश्मा लगाए, कान के पीछे कलम अटकाए हुए, शून्य में देख रहा था। उसके सामने एक खुला हुआ रजिस्टर पड़ा हुआ था, जिसमें चुंगी का हिसाब दर्ज होता था ।

प्रश्न – 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ:
  यह गद्य-खंड ‘मुर्गी की कीमत’ इस पाठ से लिया गया है ।

2) इस पाठ के लेखक कौन हैं ?
उ: 
इस पाठ के लेखक का नाम भीष्म साहनी है ।

3) यह कश्मीरी पंडित के चेहरे से क्या जाहिर होता था?
उ: कश्मीरी पंडित के चेहरे से यह जाहिर होता था कि उसका हाजमा और इमान दोनों कमजोर हैं ।

4) मेज पर रजिस्टर क्यों रखा था ?
उ:
मेज पर रखे रजिस्टर में चुंगी का हिसाब दर्ज होता था ।

ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 15-20 शब्दों में लिखिए ।

1) अहमदू का दिल घर जाने के लिए क्यों तड़प उठा ?
:
गुलमर्ग में सीजन के आखिरी दिन आ गए थे, इसलिए अहमदू का दिल घर जाने के लिए तड़प उठा ।

2) घर से रुखसत होते समय अहमदू की बीवी ने उसे क्या कहा था ?
उ:
घर से रुखसत होते समय अहमदू की बीवी ने उससे कहा था कि पैसे जाया नहीं करना । कम से कम इतना जरूर कमा लाना कि वह नया फिरन सिलवा सके या कपड़ा खरीद लाना ।

3) अहमदू का ध्यान कहाँ आकर्षित हुआ ?
उ:
अहमदू का ध्यान सुखी नदी के पाट में गोल-गोल पत्थरों पर फिसलती हुई सफेद मुर्गी की ओर आकर्षित हुआ ।

4) दस-बारह  साल की लड़की मुर्गियों की खरीद-फरोख्त का ढंग क्यों जानती थी ?
उ:
दस-बारह  साल की लड़की मुर्गियों को खरीद फरोख्त का ढंग अच्छी तरह जानती थी क्योंकि गुलमर्ग में उसके माँ-बाप का अंडे मुर्गी बेचने का पेशा था ।

5) अहमद के मन में संतोष का सैलाब सा क्यों उमड़ आया ?
उ:
जब लारी चुंगीघर से चली तो अहमदू निश्चिंत हो गया कि अब उसे मुर्गी पर कोई महसूल नहीं देना पड़ेगा, इसलिए उसके मन में संतोष का सैलाब उमड़ आया ।

ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए ।

1) अहमदू बारह आने किस प्रकार जमा कर पाया ?
उ: 
अहमदू श्रीनगर से गुलमर्ग काम करने आया था। वह मेहनत कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। घर से मजदूरी करने आए हुए पाँच महीने हो गए थे । अपना खून पसीना एक कर मजदूरी की थी । पाँच महीनों से लगातार बोझ उठा रहा था । कोई सड़क या पगडंडी बाकी ना रही होगी जिस पर उसके पसीने की बूंदें ना गिरी हो । लेकिन उसके बावजूद वह कुल बारह आने का सरमाया जमा कर पाया था। बारह  आनों में से छः आने उस बोझ के थे जो अभी-अभी वह टंगमर्ग के अड्डे तक उठा कर लाया था । उसने किफायत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी । वह पैसे हाथ में रख कर उन्हें बार-बार मसल रहा था।

2) अहमदू ने गुलमर्ग से श्रीनगर तक का सफर कैसे तय किया ?
उ:
अहमदू एक गरीब श्रमिक है। गुलमर्ग में पाँच महीने कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का पालन करता था । वह कुल बारह आने कमाकर श्रीनगर अपने घर अपने बीवी और बेटे नूरु के पास लौट रहा था । उसमें से भी उसने छह आने की मुर्गी खरीद ली थी और बाकी छः आने बचाकर पैदल ही श्रीनगर की ओर चल पड़ा । रास्ते में उसने कुछ खाया-पिया भी नहीं कि समय व्यर्थ ना हो ।

दोपहर तक अहमदू ने 12 मील तय कर लिए थे लेकिन भूख और थकावट से बदहाल होकर उसने क्लीनर को छः आने पेशगी देकर लारी में सफर करने का निश्चय किया और लारी में बैठ गया ।

3) चुंगीघर पहुँचते ही अहमदू के मन में क्या विचार आए ?
उ:
अहमदू ने पाँच महीने की कड़ी मेहनत कर बारह आने कमाए थे । उसमें से छ: आने की मुर्गी खरीदी थी तथा छः आने सफर करने हेतु लारी के क्लीनर को पेशगी दी थी । जब लारी चुंगीघर के पास रुकी तो उसे लगा कि वह अपने गंतव्य तक पहुँच गया है परंतु जब उसने चुंगीवालों को देखा तो उसका माथा ठनक गया । यहाँ पर हर चीज पर महसूल देना पड़ता था । उसे उसकी मुर्गी पर भी देना पड़ेगा लेकिन उसके जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं थी । उसके मन में विचार आया कि अब इन निर्दय रिश्वतखोर चुंगीवालों से बचकर घर कैसे पहुँचुगा । घर करीब होने से उसने सोचा कि लारी से निकलकर किसी डूंगे या नाव में दरिया पार कर वह पाँच मिनट में घर पहुँच जाएगा परंतु ऐसा करना असंभव था । उसे ज्ञात हुआ कि वह नई मुश्किल में फंस गया है ।

4) बुढ़िया के प्रति चपरासी का बर्ताव देखकर अहमदू पर क्या बिती?
: अहमदू श्रीनगर जाने जिस लारी में यात्रा कर रहा था वह एक चुंगीघर के पास आकर रुक गई । वहाँ के बाबू हर चीज पर महसूल वसूलते थे। अहमदू जानता था कि उसे भी अपनी मुर्गी का महसूल देना पड़ेगा परंतु उसके पास एक फूटी कौड़ी भी न थी । चुंगीघर के रिश्वतखोर बाबुओं ने एक असहाय बुढ़िया को उसकी दो मुर्गियों पर महसूल माँगा तो वह उनके सामने मिन्नत करने लगी कि उसे जाने दिया जाए । उसने कहा कि उसका डोंगा पास ही है । वह खाने-पीने का सामान लेकर बारामुला रवाना होगी परंतु चपरासी ने उसकी एक न सुनी और उसे जोर से धक्का दिया । बुढ़िया ने रिश्वत दी और रोती हुई आगे चली गई । यह देखकर अहमदू का चेहरा तमतमा गया और शरीर सुन्न हो गया । उसे ऐसा लगा कि संसार की गति एकदम रुक गई है और जैसे वहाँ लारी हमेशा से वही खड़ी है और खड़ी रहेगी । उसे हर चीज निरुद्ध, गतिहीन और भयानक नजर आने लगी । जब चपरासी उसकी ओर आया तो उसने लोई के अंदर हाथ डालकर मुर्गी का गला दबा रखा था कि वह कुड़कुड़ाए नहीं और वह महसूल  देने से बच जाए ।

5) अहमदू बिलख-बिलख कर क्यों रोने लगा ?
: अहमदू ने गुलमर्ग में खून-पसीना एक करके बारह आने कमाए थे । उसमें से छः आने की सफेद मुर्गी खरीदी थी और छः आने लारी के किराए में खर्च कर दिए थे । लेकिन चुंगीघर के पास जब लारी को रुकवाया गया तो अहमदू डर गया क्योंकि मुर्गी पर महसूल देने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे । जब चपरासी उसकी ओर आने लगा तो उसने लोई के अंदर हाथ डालकर मुर्गी का गला दबाये रखा कि वह कुड़कुड़ाए नहीं लेकिन ऐसा करने से मुर्गी मर गई । जब अहमदू को इसका पता चला तो वह बिलख-बिलखकर रोने लगा । जब उसने मुर्गी खरीदी थी तब कल्पना की थी कि नन्हा नूरु उससे खेल लेगा, वह अंडे देगी और जरूरत पड़ने पर बेची भी जा सकती है और खाई भी जा सकती है । अब उसके पास न मुर्गी बची थी न ही पैसे । वह हर खुशी से वंचित हो गया था ।