1.पाठ से

(क) दोनों गौरैयों को पिताजी जब घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे तो माँ क्यों मदद नहीं कर रही थी? बस, वह हँसती क्यों जा रही थी ?

उ: पिता घर में रह रहे चूहों, बिल्ली, चमगादड़, कबूतर और गोरैया से परेशान हैं। जब गोरैया ने बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में घोंसला बना दिया तब पिताजी को गुस्सा आ गया। माँ का कहना था कि गौरैया ने घोसला बनाकर अंडे दे दिए है, अब वह नहीं जानेवाली। माँ पिताजी का मजाक उड़ा रही थी क्योंकि पिताजी कभी ताली बजाकर, कभी ‘श…शू’ करके, कभी बाहें फैलाकर, कभी कूदकर गौरैया को उड़ाने की कोशिश कर रहे थे। परंतु गोरैया घोंसले में से सिर निकालकर झाँकती और ‘चीं-चीं’ करने लगती। माँ ने पिताजी को सारे दरवाजे बंद कर के बस एक दरवाजा खुला रखने की बात सुनाई।

(ख) देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। माँ ने पिताजी से गंभीरता से यह क्यों कहा ?

उ: पिताजी ने गोरैया को घर से बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, दरवाजें बंद कर दिए, दरवाजों के नीचे जो थोड़ी जगह खाली थी उसमें कपड़े ठूँस दिए, रोशनदान के टूटे हुए काँच में कपड़ा ठूँस  दिया लेकिन गोरैया वापिस आ जाती थी। माँ का कहना था कि गोरैया ने अंडे दे दिए होंगे। इसलिए वह घोंसला छोड़कर नहीं जाएगी। माँ के   हृदय में ममता थी, वह गोरैया की संवेदनाएँ समझती थी, उनका उनके बच्चों के प्रति स्नेह को महसूस कर सकती थी इसीलिए माँ ने पिताजी से गंभीरता से कहा “देखो जी”, चिड़िया को मत निकालो।

(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” पिताजी ने गुस्से में ऐसा क्यों कहा? क्या पिताजी के इस कथन से माँ सहमत थी? क्या तुम सहमत हो? अगर नहीं तो क्यों?

उ:  पिताजी के अथक प्रयासों के बाद भी वह गौरैया को घर से निकाल पाने में असक्षम रहे। चिड़िया के बार-बार आने से पिताजी परेशान थे इसलिए उन्होंने उसे निकालने के लिए उसका घर तोड़ना उचित समझा। माँ इस बात से सहमत नहीं थी, उनका मानना था कि गोरैया के जोड़े ने घोंसले में अंडे दिए होंगे, घोंसला तोड़ने से अंडों में जो बच्चे हैं वह मर जाएँगे। माँ का दिल चिड़िया के लिए करुणा से भर गया। मैं भी पिताजी की बात से सहमत नहीं हूँ। हम भी तो जंगल, जो पशु-पक्षियों का घर है उसे नष्ट कर अपने लिए घर बनाते है। अगर वह छोटी चिड़िया हमारे घर के एक कोने में छोटा-सा घोंसला बना ले तो क्या हर्ज है।

(घ) कमरे में फिर से शोर होने पर भी पिताजी अबकी बार गौरैया की तरफ़ देखकर मुसकुराते क्यों रहे?

उ:  पिताजी के अनगिणत उपायों के बाद भी गौरैया जब घर से नहीं गई तो उन्होंने घोंसला तोड़ने का निर्णय किया। जब वह लाठी से घोंसला तोड़ रहे थे तब उसमें से ‘चीं-चीं’ की आवाज आई। गौरैया के दिए गए अंडों से बच्चे निकल आए थे। उनकी आवाज सुनकर पिताजी को दया आई तथा उन्होंने घोंसला नहीं तोड़ा। पिताजी इसिलिए मुस्कुरा रहे थे क्योंकि जिस मकसद से दोनों गौरैया से घोंसला बाँधा था यानी अंडे देने वह पूरा हो गया था अब उन्हें निकालना उचित नहीं है। थोड़े दिन  पश्चात वह अपने आप चले जाएँगे।


2. पशु
पक्षी और हम

 इस कहानी के शुरू में कई पशु-पक्षियों की चर्चा की गई है। कहानी में वे ऐसे कुछ काम करते हैं जैसे मनुष्य करते हैं। उनको ढूँढ़कर तालिका पूरी करो–

(क)  पक्षी – घर का पता लिखवाकर लाए हैं।

(ख)  बूढ़ा चूहा – अंगीठी के पीछे बैठता है शायद सर्दी लग रही हो।

(ग)  बिल्ली – फिर आऊँगी कहकर चली जाती है।

(घ)  चमगादड़ – पर फैलाए कसरत करते हैं।

(ड़)  चींटियाँ – फौज़ की छावनी डाले हुए है।


3. मल्हार

नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो-

“जब हम लोग नीचे उतरकर आए, तब वह फिर से मौजूद थीं और मज़े से बैठी मल्हार गा रही थीं।”

क) अब तुम पता करो कि मल्हार क्या होता है? इस काम में तुम बड़ों की सहायता भी ले सकते हो।

उ: मल्हार सावन के मौसम में गाया जाने वाला गीत है।

 

(ख) बताओ कि क्या सचमुच चिड़ियाँ ‘मल्हार’ गा सकती हैं?

उ:  नहीं चिड़ियाँ मल्हार नहीं गा सकती है।

 

(ग) बताओ की कहानी में चिड़ियों द्वारा मल्हार गाने की बात क्यों कही गई है?

उ: चिड़ियाँ चीं-चीं कर पूरा दिन शोर मचाती है, इसे व्यंग्यात्मा रूप में मल्हार कहा गया है।


4. पाठ से आगे ( स्वयं करें )


5. अंदर आने के रास्ते

(क) पूरी कहानी में गौरैया कहाँ-कहाँ से घर के अंदर घुसी थी? सूची बनाओ।

उ: 1. गौरेया कभी दरवाज़े से अंदर आ जाती।
2.  दरवाज़े के नीचें थोड़ी जगह खाली थी वहाँ से आ जाती।
3. रोशनदान के टूटे हुए काँच से आ जाती।

(ख) अब अपने घर के बारे में सोचो। तुम्हारे घर में यदि गौरैया आना चाहे तो वह कहाँ-कहाँ से अंदर घुस सकती है? इसे अपने शिक्षक को बताओ।

उ:  हमारे घर में गौरैया आना चाहे तो दरवाज़े और खिड़कियों से अंदर आएगी।


6. कहने का अंदाज़

“माँ खिलखिलाकर हँस दीं।” इस वाक्य में खिलखिलाकर शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं। इसी प्रकार नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर भी ध्यान दो। इन शब्दों से एक-एक वाक्य बनाओ।

(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”

उ: मनोज ने अपना ग्रहकार्य पूरा नहीं किया था इसलिए शिक्षक ने झिड़ककर उसे कक्षा से बाहर निकाल दिया।

(ख) “आज दरवाज़े बंद रखो,” उन्होंने हुक्म दिया।

उ: राजा ने प्रजा को अतिरिक्त कर चुकाने का हुक्म दिया।

(ग) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो,” माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।

उ:  हमें कोरोना बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए।

(घ) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए,” उन्होंने गुस्से में कहा।

उ:  बच्चे ने गुस्से में खिलौना फैंककर तोड़ दिया।

तुम इनसे मिलते-जुलते कुछ और शब्द सोचो और उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाओ।

संकेत- धीरे से, ज़ोर से, अटकते हुए, हकलाते हुए, फुसफुसाते हुए आदि।

  1. धीरे से -बिल्ली धीरे से रसोई में घुस गई।
  2. ज़ोर से – बाकी बच्चे पढ़ रहे हैं, कृपया ज़ोर से बात ना करें।
  3. अटकते हुए – सिलाई मशीन अटकते हुए चलने लगी।
  4. हकलाते हुए – राम बात करते वक्त हकलाता है।
  5. फुसफुसाते हुए – मैंने अपनी योजना रंजना के  कान में फुसफुसाते हुए बताई।


7. किससे-क्यों-कैसे

“पिताजी बोली, क्या मतलब? मैं कालीन बरबाद करवा लूँ?” ऊपर दिए गए वाक्य पर ध्यान दो और बताओ कि–

(क) पिताजी ने यह बात किससे से कही?

उ:  पिताजी ने यह बात माँ से कही।

(ख) उन्होंने यह बात क्यों कही?

उ: उन्होंने यह बात इसलिए कहीं होगी क्योंकि माँ ने बताया कि शायद चिड़िया ने अंडे दिए होंगे। घोंसले के तिनके तथा थोड़ी-बहुत गंदगी कालीन पर गिरने से वह खराब हो सकता था।

(ग) गौरैयों के आने से कालीन कैसे बरबाद होता?

उ: गौरैयों के आने से कालीन पर तिनके गिरते, गौरैयों की बिंट गिरती और कालीन गंदा होकर खराब हो सकता था।


8. सराय

“पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है।” ऊपर के वाक्य को पढ़ो और बताओ कि–

(क)  सराय और घर में क्या अंतर होता है? आपस में इस पर चर्चा करो।

उ: सराय में लोग पैसे देकर कुछ समय के लिए रहते हैं। उन्हें उस कमरे से कोई लगाव नहीं होता। जबकि घर इंसान बड़े अरमानों से बनाता है, उसकी हर ईंट में एक याद होती है। उनका घर उसके संघर्ष, खुशियों तथा उपलब्धियों का गवाह होता है। घर में हम अपने परिवार के साथ रहते है जहाँ प्रेम और अपनापन होता है। सराय में लोग विभिन्न जगहों से आकर रहते हैं। न हम उन्हें जानते हैं न आगे कभी उनसे संपर्क होता है।

(ख) पिताजी को अपना घर सराय क्यों लगता है?

उ: पिताजी को अपना घर सराय लगता है क्योंकि घर में चूहे, बिल्ली, चमगादड़, कबूतर, गौरैया, छिपकलियाँ, चींटिया, आदि जीव रहते हैं।

9. गौरैया की चर्चा

मान लो तुम लेखक के घर की एक गौरैया हो। अब अपने साथी गौरैया को बताओ कि तुम्हारे साथ इस घर में क्या-क्या हुआ?

उ: मुझे अंडे देने थे इसलिए जल्द से जल्द घर बनाना था। जब मैंने इस घर का निरीक्षण किया तो मुझे यह स्थान घोंसला बनाने के लिए उपयुक्त लगा।  घर में बच्चा था तो मुझे बहुत सुरक्षित लगा। आनन-फानन में बड़ी मेहनत से हम दोनों ने घोंसला बनाया। मैंने घोंसले में अंडे भी दिए। जब घर के मालिक की नजर मेरे बने हुए घोंसले पर पड़ी, तो उन्होंने मुझे भगाना चाहा। घर के सारे दरवाजे बंद कर दिए, रोशनदान, सब बंद कर दिए। मैं बड़ी दुविधा में थी, कैसे भी हम घर में घूमकर अपने अंडों की देखभाल करते। एक दिन तो हद हो गई लाठी लेकर उन्होंने मेरा घोंसला तोड़ना चाहा। मेरे बच्चे अंडो से निकल चुके थे। उस आदमी को घोंसला तोड़ते हुए देखकर मेरी जान निकल गई। मुझे मेरे बच्चों की बहुत फिक्र होने लगी। पर न जाने उनका कैसे    हृदय परिवर्तन हो गया, मेरी बच्चों की चीं-चीं सुनकर उन्होंने हमें छोड़ दिया। तब जाकर मेरे जान में जान आई।


10. कैसे लगे

तुम्हें इस कहानी में कौन सबसे अधिक पसंद आया? तुम्हें उसकी कौन-सी बात सबसे अधिक अच्छी लगी?

उ: मुझे इस कहानी में सबसे अधिक माँ पसंद आई। मुझे वह बहुत दयालु, करूणामई और समझदार लगी।

वह हर परिस्थिति में हँसते हुए उसका हल निकालने की कोशिश करती। पिताजी के गुस्से को भी वह कम करने हेतु मजाक करती। वह गौरैया को निकालने या घोंसला तोड़ने के सख्त खिलाफ थी। माँ होने की वजह से वह गौरैया और उसके बच्चों की पीड़ा भली-भाँति समझती थी।

11. माँ की बात

नीचे माँ द्वारा कही गई कुछ बातें लिखी हुई हैं। उन्हें पढ़ो।

“अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”

“एक दरवाज़ा खुला छोड़ो, बाकी दरवाज़े बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”

“देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब ये यहाँ से नहीं जाएँगी।”

अब बताओ कि–

(क) क्या माँ सचमुच चिड़ियों को घर में घर से निकालना चाहती थीं?

उ: माँ चिड़ियों को घर से नहीं निकालना चाहती थी। माँ को अंदेशा हो गया था कि गौरैया ने घोंसले में अंडे दिए हैं। और ऐसी हालत में उसे घर में घर से निकालना ठीक नहीं। एक माँ की भावना को माँ ही अच्छी तरह समझ सकती है।

(ख) माँ बार-बार क्यों कह रही थीं कि ये चिड़ियाँ नहीं जाएँगी?

उ: माँ जानती थी की चिड़िया ने अंडे दिए हैं और वह अपने अंडों को छोड़कर नहीं जाएँगी, उनकी रक्षा करेगी।

12. कहानी की चर्चा

(क) तुम्हारे विचार से इस कहानी को कौन सुना रहा है?  तुम्हें यह किन बातों से पता चला?

उ: हमारे विचार में कहानी को वह छोटा बच्चा या बेटा सुना रहा है। उसके बचपन में घटी घटना को वह विस्तार से सुना रहा है। बेटा अपने-आप को ‘मैं’ कहकर और अपने माता पिता को पिता जी और मां कहकर संबोधन कर रहा है। अपने घर की तथा माता-पिता की सूक्ष्म बातें भी बता रहा है।

13. शब्द की समझ

चुक – चूक

(क) अब उनकी सहनशीलता चुक गई।

(ख) उनका निशाना चूक गया।

अब तुम भी इन शब्दों को समझो और उनसे वाक्य बनाओ।

(i)   (क) सुख – हर माँ-बाप अपने बच्चों के सुख की कामना करते हैं।

(ख) सूख – बारिश न होने से पूरा खेत सूख गया।

(ii)   (क) धुल – मैंने कपड़े धुलने दे दिए।

(ख) धूल – काफी दिनों से घर बंद होने की वजह से सामान पर धूल चढ़ गई थी।

(iii)  (क) सुना – बचपन में मैं दादी-माँ से बहुत कहानियाँ सुना करती थी।

(ख) सूना – रीमा के ससुराल जाने से घर सूना हो गया।