प्र) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए

1) चपेट में आना – पकड़ में आना
– छोटे-छोटे घर तूफान की चपेट में आ गए ।

2) चकमा देना – धोखा देना ।
– बदमाश लड़के शिक्षक को चकमा देकर स्कूल से भाग गए ।

3) छान डालना – बहुत ढूंढना ।
– अपनी लापता बेटी को ढूंढने के लिए विवेक ने सारा शहर छान डाला ।

4) गुमसुम बैठना – चुपचाप बैठना
– परीक्षा में असफल होने के बाद राज गुमसुम सा बैठ गया ।

5) दम तोड़ना – मर जाना
–  काशीनाथ ने लंबी बीमारी के बाद दम तोड़ दिया ।

6) वजन रखना – रिश्वत देना ।
– अपना काम करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में वजन रखना पड़ता है ।

7) ऊँचा सुनना – कम सुनाई देना
–  स्वामी के दादा को ऊँचा सुनाई देता है ।

प्र) शब्द युग्म को वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।

1) अच्छे-अच्छे  – शकुनि के कपटी इरादों से अच्छे-अच्छे सूरमा भी धोखा खा गए ।

2) घूमते-फिरते  –  बच्चे घूमते-फिरते जंगल में काफी आगे निकल गए ।

3) बार-बार  –  पिताजी के बार-बार समझाने पर भी नीरज नहीं माना ।

4) मंदिर-वंदिर  –  कनिका मंदिर-वंदिर, पूजा-पाठ में विश्वास नहीं रखती थी ।

5) टूटे-फूटे  –  गरीब भिखारी के झोपड़ी में टूटे-फूटे बर्तनों के अलावा कुछ नहीं था ।

6) दान-पुण्य –  शास्त्रों के अनुसार दान-पुण्य में बहुत लाभ है ।

अभ्यास प्रश्न

क) निम्नलिखित गद्यखंड को पढ़कर उसके नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।

अ – सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर देख रहे थे ।

गलती पकड़ में नहीं आ रही थी । आखिर उन्होंने खींझकर रजिस्टर इतने जोर से बंद किया कि मक्खी चपेट में आ गई । उसे निकालते हुए वे बोले – “महाराज, रिकॉर्ड सब ठीक है । भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ था, पर यहाँ अभी तक नहीं पहुँचा ।

प्रश्न – 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ:
 यह गद्य-खंड ‘भोलाराम का जीव’ पाठ से लिया गया है ।

2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ:  इस पाठ के लेखक का नाम हरिशंकर परसाई है ।

3) चित्रगुप्त बार-बार क्या कर रहा था ?
उ: चित्रगुप्त बार-बार चश्मा चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर देख रहे थे  ।

4) चित्रगुप्त ने खीझकर रजिस्टर जोर से बंद क्यों किया ?
उ:चित्रगुप्त को गलती पकड़ में नहीं आ रही थी इसलिए खीझकर उसने रजिस्टर जोर से बंद किया ।

आ) साहब ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा, “मगर वजन चाहिए । आप समझे नहीं । जैसे आपकी यह सुंदर वीणा है, इसका भी वजन भोलाराम की दरख्वास्त पर रखा जा सकता है । मेरी लड़की गाना-बजाना सिखती है । यह मैं उसे दे दूँगा । साधु की वीणा तो बड़ी पवित्र होती है । लड़की जल्दी संगीत सीख गई तो उसकी शादी हो जाएगी ।

नारद अपनी वीणा छिनते देखकर जरा घबराए । पर फिर सँभालकर उन्होंने वीणा टेबल पर रख कर कहा, “यह लीजिए । अब जरा जल्दी उसकी पेंशन का आर्डर निकाल दीजिए ।“

प्रश्न – 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ:  यह गद्य-खंड ‘भोलाराम का जीव’ पाठ से लिया गया है ।

2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ:  इस पाठ के लेखक का नाम हरिशंकर परसाई है ।

3) नारद की पवित्र वाणी से साहब का क्या फायदा होनेवाला था ?
उ:  नारद की पवित्र वीणा से साहब की लड़की जल्दी वीणा सीख जाती और उसकी शादी हो जाती ।

4) नारद ने वीणा के बदले में साहब से क्या प्रार्थना की ?
उ:  नारद ने वीणा के बदले जल्दी से भोलाराम के पेंशन का आर्डर निकालने की प्रार्थना की ।

ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 15 -20 शब्दों में लिखिए ।

1) धर्मराज चिंतित क्यों थे ?
उ: भोलाराम का जीव गायब हो जाने से धर्मराज को चिंता होने लगी थी कि यदि इस प्रकार जीव गायब होने लगे तो पाप-पुण्य का भेद ही मिट जाएगा ।

2) यमदूत किस हालत में यमलोक में पधार?
उ: यमदूत के चंगुल से भोलाराम का जीव छूटकर कहीं गायब हो गया था, इसलिए यमदूत बदहवास और परेशान हालत में यमलोक में पधारा था ।

3) चित्रगुप्त ने भोलाराम के जीव के गायब हो जाने के संबंध में क्या आशंका जताई ?
उ: चित्रगुप्त में भोलाराम के जीव के गायब हो जाने के संबंध में यह आशंका जताई कि उसके विरोधियों ने उसकी मृत्यु के बाद उसके जीव को खराबी के लिए शायद उड़ा दिया होगा ।

4) भोलाराम में किस हालत में दम तोड़ दिया ?
उ: रिटायर होने के पाँच वर्ष बाद भी भोलाराम की पेंशन रुकी हुई थी । इसी चिंता में घुलते-घुलते  और भूख मरते भोलाराम ने दम तोड़ दिया ।

5) नारद ने भोलाराम की पत्नी को पेंशन के संबंध में किस तरह से आश्वस्त किया ?
: नारद ने भोलाराम की पत्नी से कहा कि यहाँ उनका कोई मठ नहीं है और साधु की बातों पर कोई विश्वास भी नहीं करता, फिर भी वह उसकी पेंशन दिलवाने की कोशिश करेंगे ।

ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए ।

1) भोलाराम के बारे में चित्रगुप्त ने रजिस्टर देखकर नारद जी को क्या जानकारी दी ?
उ: भोलाराम के बारे में चित्रगुप्त ने रजिस्टर देखकर नारद जी को यह जानकारी दी कि मरने वाले का नाम भोलाराम था । उसका जबलपुर शहर के धमापुर मोहल्ले में नाले के किनारे एक डेढ़ कमरे के टूटे-फूटे मकान में रहता था । उसकी स्त्री थी, दो लड़के और एक लड़की थी । उसकी उम्र पैंसठ साल की थी । वह सरकारी नौकर था और पाँच साल पहले रिटायर हो गया था । उसने एक साल से मकान का किराया नहीं दिया था, जिस कारण मकान मालिक उसे घर से निकालना चाहता था । परंतु उसके पहले ही भोलाराम ने दम तोड़ दिया ।

2) धर्मराज ने चित्रगुप्त को रिटायर करने की बात क्यों की ?
उ: चित्रगुप्त का कहना था कि आजकल पृथ्वी पर माल उड़ाने का व्यापार बहुत चला हुआ है । लोग दोस्तों को फल भेजते हैं और रास्ते में रेलवेवाले उन्हें उड़ा लेते हैं । हौज़री के पार्सलों के मोजे रेलवे अफसर पहनते हैं । राजनैतिक दलों के नेता विरोधी दल के नेता को उड़ाकर कहीं बंद कर देते हैं । उनका संशय था कि भोलाराम के जीव को भी किसी विरोधी ने मरने के बाद खराबी करने के लिए उड़ा दिया होगा । धर्मराज का मत था कि भोलाराम जैसे नगण्य दीन आदमी से किसी को क्या लेना देना होगा । अतः व्यंग्य से वे चित्रगुप्त को रिटायर होने की बात करते हैं ।

3) धर्मराज के अनुसार नर्क में निवास स्थान की समस्या कैसे हल की गई थी ?
उ: धर्मराज ने नारद को बताया कि पिछले सालों में नर्क में कई गुनी कारीगर आ गए हैं । जिन ठेकेदारों ने देश में पूरे पैसे लेकर रद्दी इमारतें बनाई और जिन इंजीनियरों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर पंचवर्षीय योजनाओं का पैसा खाया वह सब नर्क में आ गए हैं । उनके साथ वे ओवरसीयर भी है जिन्होंने उन मजदूरों की हाजिरी भरकर पैसा हड़पा जो कभी काम पर गए ही नहीं । इन सबकी मदद से नर्क में बहुत जल्दी कई इमारतें तान दी गई हैं और नर्क की निवास स्थान की समस्या हल हो गई है ।

4) भोलाराम का जीव यमदूत को चकमा देकर कहाँ गायब हो गया ?
उ: भोलाराम सरकारी क्लर्क था । जीवन भर अभावों में व्यस्त रहा । रिटायर होने के पाँच वर्ष बाद भी सरकारी कार्यालयों में दरख्वास्ते भेजने और चक्कर काटने के बाद भी पेंशन नहीं मिली । घर के जेवर तथा बर्तन बिक गए । फाके होने लगे थे । भोलाराम ने चिंता और भूख के चलते दम तोड़ दिया । यमदूत बड़ी सावधानी से उसके जीव को लेकर यमलोक आ रहा था परंतु भोलाराम का जीव उसे चकमा देकर उसके चंगुल से छूट गया । उसकी जान पेंशन में अटकी हुई थी इसलिए वह वहाँ से सरकारी दफ्तर पहुँचा और अपनी पेंशन की फाइल में दरख्वास्तो के बीच जाकर छिप गया । यही उसका मन लगा था ।

5) ‘भोलाराम का जीव’ पाठ में लेखक ने सरकारी कार्यालयों के किन बुराइयों पर व्यंग किया है ?
उ: भोलाराम का जीव इस रचना द्वारा लेखक हरिशंकर परसाई ने सरकारी कार्यालयों में बढ़ते भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी तथा अकर्मण्यता पर करारा व्यंग किया है । सरकारी दफ्तरों में कोई भी बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं करता । भोलाराम एक नगण्य गरीब था, जिसे रिटायर हुए पाँच वर्ष बीत चुके थे । उसने सौ-डेढ़-सौ  दरख्वास्त दे दी थी परंतु रिश्वत न देने की वजह से उसके पेंशन का ऑर्डर पास नहीं हो रहा था । उसको अपने हक के पैसे लेने के लिए भी सरकारी अफसरों को घूस देनी थी, जो उसके बस की बात नहीं थी । भोलाराम की पेंशन को मंजूरी देने के बदले रिश्वत के रूप में नारद की वीणा को ही लेने की इच्छा जैसी काल्पनिक घटनाओं द्वारा लेखक ने सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर व्यंग किया है ।