1. पंछी पिंजरे में क्यों नहीं गा पाता?
उ: पंछी खुश होकर सिर्फ उन्मुक्त गगन में गा सकता है। पिंजरे में वह दु:खी हैं इसलिए नहीं गा पाता।

2. पंछी क्या पीना चाहता है?
उ: पंछी नदियों, झरनों का बहता जल पीना चाहता है।

3. पंछी क्या चुगना चाहता है?
उ: पंछी अपनी सूरत जैसी लाल चोंच से अनार के दाने रूपी तारों को चुगना चाहता है।

4. पंछी किसके साथ स्पर्धा करना चाहता है?
उ: पंछी सीमाहीन क्षितिज के साथ अपने पंखों की शक्ति की स्पर्धा करना चाहता है।

5. अगर पंखों की उड़ान और आकाश के प्रतिस्पर्धा होती तो क्या होता?
उ: पंखों की उड़ान और आकाश की प्रतिस्पर्धा में या तो पंछी आकाश की ऊँचाइयों को नापकर क्षितिज से मिलन होता या उनके प्राण पखेरू हो जाते।

6.पंछी अपने आश्रय के बारे में क्या कहता है?
उ: पंछी अपने आश्रय के बारे में यह कहता है कि भले ही रहने का स्थान न दो, घोसले नष्ट कर डालो परंतु हम पंछी हैं हमें उड़ने दो। हमारे आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

7. पंछी के प्राणों को किन दीवारों में नहीं बाँधा जा सकता?
उ: पंछी के प्राणों को नभ की धुँधली दीवारों में नहीं बाँधा जा सकता।

8. इस कविता में कवि ने किस भावना की अभिव्यक्ति की है?
उ: इस कविता में कवि ने पिंजरबध्द पंछी के माध्यम से स्वतंत्र एवं मुक्ति का अर्थ बताया है। स्वतंत्र उड़ने की शक्ति और सामथ्र्य जिसके पास हो, और उसे बंदी बना लिया जाए तो उस पर जो बितती है, इसकी अभिव्यक्ति कवि ने की है। कवि ने पंछी के प्रतीक के माध्यम से, स्वतंत्रता की चाह रखनेवाले जब बंदी बनाए जाते हैं, तो स्वतंत्रता प्रेमियों की व्याकुलता और असहाय भावना को व्यक्त किया है।